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________________ ३२४ साक्षी अगर सोगन लेकर बिगाडेगा तो वांरो सत्यानाश जावेगा सं० १९९६ का मिति चेत वद १ द० रोकडचन्द संचेती का छे सब कौम का केवासुं । ५० सोलाल पटेल नि० जवारा गुजर नि० उदा नि० जगनाथ दारोगा नि०. भूरा गुजर नि० गणेस दरोगा नि० सवाई गुजर नि० हजारी नि० घीसा खारोल नि० बदाखारोल नि० कानागुजर नि० सूर जमल नि० हरजी [देवा खारोल महिना में एक उपवास करीया जावेगा साल में बारा । मुलाखारोल १ वास महिना में बाकी निवेगा सो करूंगा ] नि० मांगुरेघर नि० छोगा । गुजर नि० देवाखारोल नि० मूला खारोल श्री एकलिंगजी आसण दांतडा ॥ श्री रामजी ॥ सिद्ध श्री १००८ श्री पूज्य श्री महाराज साहब घासीलालजी म. साहित्य प्रेमी पण्डित व्या० मुनी श्री कनैयालालजी म० मुनि श्री मदनलालजी महाराज आदि ठाना ६ सु हमारे यहां दांतडानगर में पधारनो हुवो और अहिंसा को उपदेश फरमायो । उस उपदेश को धारणकर मां आसनदांतडा निवासी गुजर पटेल जाट जोगेश्वर खाती नाई आचारत कुम्हार रेबारी ढोली भील बलाइ रेगर चमार बागरिया आदि सर्व जाति की अर्ज मालूम हो के आज पिछे मां सर्व कोम का लोग कोई तरह की जीवहिंसा नहीं करांगा तथा देवता माता जी देवी भैरूजी जक्षजी आदि के कोई जीवहिंसा नहीं करांगा । तथा इनके नाम से कोई जीव मारांगा नहीं । सब देवी देवता के मीठी प्रसादी चढावांगा तथा इनका नाम के कोई भी जीव को कान में कुडक घाल अमर्या कर देवांगा । देवता के लिये या और भी हमारे खाने के लिये मां सर्व कौम का लोग कोई जीवहिंसा करांगा नहीं । यो प्रण मां चारभुजाजी महाराज को बीच में राख चन्द्रमा सूरज की साख सुं आपका उपदेश लागनेसु करियो है । सो मांलोगा का वंश जबतक रहेगा, तथा हमारो गाव आसणदांतडो रहेगा जबतक यो प्रण मां पाल्या जावांगा । श्रीपूज्य महाराज साहब का इण उपदेश को हमारे गांव का बच्चा २ पर पूर्ण - तया असर पडियो छे सो इन प्रणसुं जो विरुद्ध चालेगा उसको भगवान भलो नहीं करेगा । संवत् १९९६ शुभ मिति चैत वदी ११ बुधवार ता. ३-४-४० द० कुंवर बसंतीलाल बोहरा सर्व गांव का लोगा का har लिखी छे । द० बोहरा विजयलाल द० बोहरा लालचन्द नि० भारमल नि० सुखाजाट नि० मेघा रेबारी नि० लच्छी रामा कुमार नि० हीरा रावल नि० किसननाथ जोगेश्वर नि० गंगातागु नि० माधु साडोल्या नि० पन्ना रावल नि० देवा गूजर नि० सुवा पटेल नि० शिवा रावल नि० रायमल भडाणा नि० उदाखाती नि० सेवा बलाइ ५० डावा रावल नि० जाट केलू द० हरदेव खाती द० रामनारायण ब्राह्मण नि० मांगू चमार नि० उंकारदास नि० चम्पाजाट नि० बाबूदान रेबारी नि० मोडदास नि० गांवबलाइदेबीडा नि० देवलाबागरिया नि० लछमन भोपा श्री एकलिंगजी ॥ अंटाली ॥ श्री राम जी ॥ सिद्ध श्री श्री १००८ श्री पूज्य महाराज महाराज साहब श्री घासीलालजी महाराज प्रिय व्याख्यानी १००५ श्री पं मुनिश्रीकनैयालालजी महाराज, तपस्वी श्री मदनलालजी महाराज आदि ठाना ६ हमारे यहां अंटाही पधारना हुआ और अहिंसा का उपदेश फरमाया उस उपदेश को सुनकर हम अंटाली निवासी राजपूत गुजर पटेल जाट, धोबी कुंभार, तेली, खाती नाई रावत, ढोली बलाइ, रेगर चमार भील भंगी आदि सर्व जाति की अर्ज मालूम हो कि आज पीछे हम सब कौम के देवता माताजी भैरूजी शख्सजी सकोतरी आदि देवों के नामसे कोई जीवहिंसा करांगा नहीं तथा इनके नाम से कोई जीव मारांगा नहीं । सर्व देवता के मिठाई चढावां गा तथा इनके नाम के जीवों को कुडक घालकर अमरिया कर देवांगा । देवता के लिये जीवहिंसा करांगा नहीं यह Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003976
Book TitleGhasilalji Maharaj ka Jivan Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRupendra Kumar
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1975
Total Pages480
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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