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________________ ३३० में नहीं हुआ था और बहुत समय से अलभ्यलाभ मिलने वाला था इसलिये आये हुए श्रावक को खाली हाथ वापस लौटना पडा । साथ ही रतलाम श्रीसंघ की तरफ से पूज्यश्री का बिहार शीघ्र करने की विनती करने के लिए रतलाम से सेक्रेटरी श्री लखमीचन्दजी मुनोत को शाहपुरा भेजे । लखमीचन्दजी ने संघ की ओर से अपना प्रार्थना पत्र पूज्य श्री की सेवा में पेश किया । मेवाड में अमर पडह शाहपुरा से बिहार कर रास्ते में धर्मोद्योत करते हुए भिलवाडा चितौडगढ पधारे । यहां पर उदयपुर श्रीसंघ के मुख्य मुख्य श्रावकगण व चौवीसाजी सा. श्री कन्हैयालालजी सा. पूज्यश्री के दर्शनों के लिए पधारे । पूज्यश्री ने चौवीसाजी द्वारा हिज हाइनेस हिन्दवाकुलसूर्य महाराणा साहेब से सारे मेवाड़ देश के करीब साढे दस हजार ग्रामों में आगता पालने का हुक्म जारी करने का फरमाया जिससे असंख्य प्राणियों को अभय दान मिला । मालवा में पदार्पण मेवाड में अलौकिक उपकार कर पूज्यश्री ने मालवे की तरफ अपने पद पंकज बढाये । पूज्यश्री निम्बा हेडा जो टोंक रियास का एक सूबा है वहां पधारे । आपके पधार से जनता व राज कर्मचारी लोगों में धर्मजागृति बहुत हुई । सारे शहर में ॐ शान्ति की प्रार्थना हुइ व जीवदयादि धर्मकार्य हुए । इसी तरह पूज्यश्री के धर्मोपदेश से तहसीलदार साहेबने नीमच सीटी में कत्लखाने बन्द रखवाये और आम बाजार में ॐ शान्ति की प्रार्थना करवाई । मन्दसौर का अलौकिक दृश्य नीमच से ग्रामोंग्राम बिचरते हुए पूज्यश्री मन्दसौर पधारे । श्रावक समुदाय चार मिल तक पूज्यश्री के स्वागतार्थ गया । जयध्वनि के साथ पूज्यश्री का जमकुपुरा के भवन में पधारना हुआ । आठ रोजतक मन्दसौर की जनता को अमूल्य वाणी का लाभ प्राप्त हुआ । ता० ३०-६-४० को मन्दसौर प्रजा परिषद् की तरफ से राजेन्द्रविलास ॐ शान्ति का प्रार्थना दिवस मनाया गया । पूज्यश्री का दो घन्टे तक ईश्वर प्रार्थना विषय पर प्रवचन हुआ । पिछे एक घंटे तक हजारों जनता ने मिलकर ॐ शान्ति को पवित्र धुन से आकाश को गुंजा दिया । जनता खूब प्रसन्न हुई । वहां पर रतलाम से श्रीमान् रतनलालजी गान्धी श्रीचा. न्दमलजी गान्धी श्री सोमचन्द्र भाई, मास्टर मिश्रीमलजी, श्रीलखमीचंदजी मुणोत, पूज्यश्री के दर्शनार्थ पधारे और पूज्यश्री से रतलाम शीघ्र पधारने की प्रार्थना की। वहां से बिहार कर आप खलचीपुरा पधारे वहां की हिन्दु मुस्लिम जनता ने व्याख्यान का लाभ लिया । समस्त जनता ने ॐशान्ति की प्रार्थना की उसदिन रात्रि भोजन, हरी सब्जी का त्याग, ब्रह्मचर्य पालन, दारु मांस का त्याग जीवहिंसा न करने के आदि नियम ग्रहण किये। वहां से आप ढोढर पधारे । पूज्यश्री का ढोढर पधारना सुनकर जावरा के २०-२५ भाई वहां पहुँचे । दूसरे रोज पूज्यश्री के जावरे पधारने की खबर सुनकर नर नारियों के वृन्द के वृन्द सामने आये । जयध्वनि के साथ पूज्यश्री ने पौषध शाला में प्रवेश किया। जहाँ आपने २ - ३ प्रवचन दिये । उसके बाद आप स्टेशन पधारे । जनता का अत्यधिक आग्रह होने से दो व्याख्यान स्टेशन पर भी हुए। वहां पर जावरा स्टेट के चीफ मिनिस्टर सा. ने पूज्यश्री के दो बार दर्शन कर व्याख्यान श्रवण किया । रतमाल से करीब ६०-७० भाई पूज्यश्री के स्वागतार्थ जावरे पहुँचे और पूज्यश्री से प्रार्थना की कि चातुर्मास के दिन बहुत समीप आगये हैं अतः आप शिघ्र ही रतलाम पधारें । रतलाम में पदार्पण पूज्यश्री के रतलाम स्टेशन पर पधार जाने की जनता को जब खबर मिली तो जनता सेंकड़ों की संख्यामें स्टेशन पर जा पहुंची और दर्शन कर अपने भाग्य को सराहने लगी । अषाढ शुक्ला १० गुरुवार को Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003976
Book TitleGhasilalji Maharaj ka Jivan Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRupendra Kumar
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1975
Total Pages480
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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