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पधारना मोजा परामें हुआ और जानवरहिंसा नहिं करने को उपदेश फरमाओ जिमे मां यों उपदेश धारण करके कुल वासिन्दगाने तय किया कि कोई जानवर हिंसा व सर्व देवता के जानवर कतई नहीं माराँगा । धर्मप्रण के विरुद्ध करेंगा वांको भगवान् खोटो करेगा । सं. १९९६ का महासुद ता० १६-८-४० मु० की रामराय सोमानी दाणी पड़ासोली द. जीवराज बुर्ड का छे नि० चतरभुज पटेल नि० गम्भीर पटेल नि० जीता पटेल नि० हजारी किसना पटेल नि० नाथुनाई नि० छितर पटेल द. उंकार लुवार नि० कसन्ना पटेल नि० खेता पटेल नि० हजारी पटेल नि० सवाई पटेल नि० फत्तेसिंह ठाकुर द. रिखबचन्द रोकडचन्द पडासोली
नकल पट्टा जयनगर- ।
सिद्ध श्री श्री १००८ पूज्य महाराज साहेब श्री घासीलालजी महाराज साहेब व्याख्याजी पं महाराज श्री कन्हैयालालजी महाराज साहेब श्री १००५ श्री मङ्गलचन्दजी महाराज साहेब श्री मदनलालजी महाराज सा० ठाना से आज जैनगर बिराजमान हैं । आज दिन ॐशान्ति की प्रार्थना हुई और अहिंसा को उपदेश फरमायो । उस उपदेश को धारण करके हमने जैनगर निवासी गुजर पटेल हमारी सब कौम याने गुजर, खाती, लुहार सुनार कुम्हार, माली, तेली, भील, बलाई, खटिक, आदि जैनगर के सत्र कौम की अर्ज मालूम होवे कि हम लोग कोई जीवहिंसा करांगा नहीं तथा देवता माताजी भैरूजी आदि सर्व देवता के जीवहिंसा नहीं करांगा मिठी परसादी चढावांगा तथा वणांका नाम का अमरीया कर देवांगा । यो प्रण श्री चारभुजाजी महाराज को बीच राख कर चन्द्रामा सूर्य की साकसी सुकिना है सो हमारीं आल औलाद तक निभावांगा व गाँव रेवेगा जहां तक निभावांगा । अणी प्रणसु विरूद्ध चालेगा वणिरो भलो नहीं होवेगा । २
सं. १९९६ का मिति महासुद्ध १३ बुधवार पुखनक्षत्र द. कालु खाती नि. भुराहलकी छे नि. जोरा नम्बरदार, नि. बालफागनकी छे, द. मेघराज रांका द. परतावा फागन, द. गोपी फागन, नि लक्षमण कोलीखेडा नि. काळुफागन, द. धन्ना तेली, नि. बालचन्द्र लुहार, नि. बगतावर तेली, द. देवा खाटीक द. रामचंद्र पंडया नि. देवा तेली की, नि. उदा माली, नि. सुखा की जवाई नि., किसना, द. घीसु सुनार, द. काल फागन, नि. उंकार कलाल इत्यादि समस्त गांव के निवासियोंके कहने से
श्री एकलिंगजी
नकल पट्टा गांव शंभुगढ
श्रीरामजी
सिध श्री श्री १००८ श्री पूज्य महाराज श्री घासीलालजी महाराज, तथा १००७ पं श्री कन्हैयालालजी महाराज, मंगलचन्दजी महाराज मदनलालजी महाराज ठा० ४ पधारिया । ॐशान्ति की प्रार्थना हुई । अहिंसा का उपदेश फरमाया सो मां लोग धारण करके शंभुगढ निवासी सारी कोमवाला महाजन की कोम, ब्राह्मणकी कोम, तेली की कोम, लुहार की कोम, गुजरजाट की कोम, सुनार, सुतार, बोला, मोची, मुसलमान, कुंभार, बलाई, आदि सब कमवाला हिंसा नहीं करांगा तथा देवता के देवी के भैरुजी आदि कोई भी देवता के जीव नहीं मारांगा । यो प्रण मांको वंश रहेगा जबतक पालांगा । देवता के मीठी परसादी चढावांगा । तथा अमरिया कर देवांगा । यो प्रण मां चारभुजाजी ने बीच में रखकर चन्द्रमा और सूरज की साखसु करियो है सो मां सर्व लोग गांववाला सब कोमका मां मांका गांव में कोई जीव मारांगा नहीं मारवादांगा नहीं गांव रहेगा जहाँ तक या प्रतिज्ञा पालांगा । इस में जो विरुद्ध चलेगा उनारा भलो नहीं होवेगा । सं, १९९६ का फागन बिद ६ बुधवार, दः मोडा नम्बरदार का सर्व का गांव शंभुगडवाला का केवासुलिख्यो है ।
दः कालु जाट, दः खेमारेगर नि. सेवा रेगर, दः बालुतेली नि. बगतातेली नि. जुवान लखारा, नि. हेमाली द. धुलादरोगा नि. दवा तेली द: धुला जाट नि. उकार तेली नि. हीरा बलाइलाई दः नाथु तेली नि. मेरोकीर नि. मांगू नायक नि. भूरा भावी नि. ऊंकारलाल... इत्यादि
श्री एकलिंगजी
गजसिंहपुरा
श्रीरामजी
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