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असल तामिलन कचहरी में भेजा जावे और लिखा जावे कि पूज्य महाराज व उनके शिष्य जब कभी यहां पधारे उस रोज पटे हाजा में अगता रखा जावे । मुहचर घास मुकाते न देकर पुण्यार्थ मवेशियान को चराया जावे। तालाव मनोहरसागर में बिगेर इजाजत कोई शिकार नहीं खेलने व मच्छियें नहीं मारने पावे । इसका इंतजाम कर देवें फक्त-हुक्म कचहरी नं २४५३-नकल इतलान पूज्य महाराज साहेब के पास भेजी जाकर वास्ते तामिल थाने में लिखा जावे । असल दर्ज मुतरफकात हो सं० १९९५ का जेठ वद ८ ता. ११५-३९ ई० मु. कू. नन्दलाल संघवी
पूज्य श्री के उपदेश से सरदार गढ में खटिकों के बीस घरवालों ने सकुटुम्ब अपनी वंश परम्परा गत कसोई का धन्दा न करने की व जीवहिंसा नहीं करने की प्रतिज्ञा ग्रहण की। . "श्री एकलिंगजी अहिंसा परमोधर्म-के विषय पर
श्रीरामजी सिद्धश्री खांखला में जैनाचार्य जैनधर्मदिवाकर पूज्य श्री १००८ श्री घासीलालजी महाराज के आशावर्ती मनोहर व्याख्यानी पं० मुनिश्री १००७ श्री श्री मनोहरलालजी महाराज घोर तपस्वीजी १००५ श्री मांगीलाल जी महाराज आदि ठाना का कुंवारिया से बिहार कर जेठ शुक्ला १० को यहां पधारना हुआ और जेठ शुक्ला निर्जला ११ एकादशी को सर्व गांव में आम अगता रखा गया याने सब गांव वालों ने मिलकर ॐ शान्ति प्रार्थना की और जेष्ठ शुक्ला चतुर्दशी को गांव के बाहर तालाव के पाल जहां राडाजी का स्थान है वहां अहिंसा के विषय पर मुनिश्री ने व्याख्यान फरमाया और साथ में यह भी फरमाया की किसी भी देवता के स्थान पर उनके नाम से (बलिदान) जीवहिंसा आदि नहीं करना । ऐसा फरमाने पर प्रायः गांव के सभी कोमवालों ने सहर्ष स्वीकार किया और वहां पर पहले से सालमें करीब सैकड़ों जीवों का बलिदान लोगों के बिमारी होने की वजह से वे लोग करते थे। इसके अलावा नवरात्रि आदि दिनों में माता चामुण्डाजी, कालकाजी, मालियों की कालका आदि स्थानों में भी जीवहिंसा होती थी वो महाराजश्री के उपदेश होने से सब जगह की जीवहिंसा बन्द होकर सब देवी देवताओं ने मीठी परसादी खुद अपने स्थानों पर भाव होकर मुनिश्री के वचन मंजूर कर स्वीकार कर लिया । इसके अलावा एक दो देवी देवताओं के स्थान जो आबादी के अन्दर है। उसके नाम पर बलिदान गांव के बाहर होता था, वो भी बन्द कर दिया गया और गांव के सभी सज्जनों ने भी इकठे होकर मुनिश्री से यह प्रतिज्ञा करली की आइन्दा हम कोई लोग बलिदान नहीं देवेंगे और अगर गांव का तथा बाहर का कोई भी जीव देवी देवताओं के स्थान में बोलमा का लेकर आवेगा उसको अमरिया कर दिया जावेगा और मीठी परसादी होगी । यह प्रतिज्ञा हम लोगों ने महाराजश्री से ली है सो इसका उलंघन कभी नही होगा और सदा के लिए अपने अपने इष्ट धर्म का पालन करते रहेंगे । सं.१९-९६ का जेठ शुक्ला १४ ता. १-६ ३९ ई.स. समस्त पंचान गांव वालों के कहने मुताबिक गणेशलाल दशोरा स्क्ल मास्टर खांखला जिला साहडा उदयपुर मेवाड़ निवासी बेगुंका जिला रासमी द. माधूलाल रांका द. कालू पटेल द. कालू राम द. कुंभार रामा द. ब्राह्मण लालू राम द. रावत मेरजी द. जोधराज रांका द.जाटकजोड़ा काला द. कजोडीमल डांगी द. भील हेमा द. फूलचन्द्र भलावत द- कुम्भार मोतो द. फूल चन्द्र सुनार द. गाडरो कालू द्रुवाला द. कानमल सींगी द. बाबा भेरवनाथ नि० सुवालाल रांका नी० खटीक रपा द. गाडरी सुखा नि० नाथुलाल कछरा नि० लगजो गाडरी नि० उदागाडरी नि० माली हीरा नि० पीथाजी माली नि० जेतामाली नि० गणेश गूजरगोड नि० देवरामजीसुजावत नि० कुंभार केरिग आदि
नकल पट्टा परागांव
अर्ज पत्रिका अज तर्फ समस्त वासिन्दगान परा भोजपुरा पट्टा बदनोर व खिदमत श्री महाराज साहब पज्य श्री श्री श्री १००८ श्री श्रीश्री घासीलालजी महाराज साहब जैन संप्रदाय बावीस अपरंच आपका
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