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________________ रहा । सिन्ध में कोटडी बन्दर व गीदु बन्दर पर सिन्धु नदी में संवत्सरी पर्व व तपस्वीराज के पुर के रोज मच्छियें मारना बन्ध रहा । बांदरवाडा व रामपुरा ग्वालियर में तीनरोज के अगते रक्खे गये । बडी सादडी में तप महोत्सव पर भारी जुलूस निकाला गया। और अगते तो थे ही व कई जगह से तपस्वीराज की सुख शान्ति के चाहने के तार चिट्टियें आई । जिसका संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है। कराची कोटडी ब न्दर में श्रीमान् ठाकरसी रामजी भाई लिखते हैं कि “आप की आज्ञानुसार ता० ७-९-३८ बुधवार भादवा सुदी १३ को यहां कोटडी बन्दर पर सिन्धु के दोनों किनारे मच्छी, खगा, गांगट इत्यादि चलचर प्राणी की जीवहिंसा बन्ध कराई गई है, सो मच्छिमारों की लिस्ट गुजराती में लिखी हुई आपकी जानका री के लिए शामिल रखी गई है" वह स्थानाभाव से नहीं दी गई । सी. आइ. डी. ओफिसर पुलिस कराचो मि० मिन्नो साहब अपने अंग्रेजी पत्र ता० ४-९-३८ में लिखते हैं । जिसका हिन्दी अनुवाद यह है कि "मुझे निमन्त्रण पत्र मिला मुझ जैसे क्षुत्र प्राणो को याद फ रमाया उसके लिए मैं अत्यन्त कृतज्ञ हूं। मैं इन्स्पेक्षन के लिए बाहर गया हुआ था इस कारण पत्रोत्तर जल्द नहीं देसका । यदि मुझे पहिले यह पत्र मिलता तो अवश्य ही 'अहिंसा डे' पर 'उपस्थित होता । आप जानते हैं कि मैं भी सच्चाई और शान्ति का उपासक हूं। लेकिन इसका हर जगह मिलना अत्यन्त कठिन है। जहां देखता हूं खुदगर्जी व मक्कारी ही पाई जाती है । भावी युद्ध के बादल मंडरा रहे हैं और उसमें लाखों मनुष्यों के प्राण संकट में गिरने का भय है । इन आपत्तियों में भी हमें परमात्मा को नहीं भूलकर सदैव उसका स्मरण करना चाहिये ताकि हमें वह इन संकटों से मुक्त करें । मै आपको निमंत्रण पत्र के विषय में धन्यवाद देता हूँ और अधिक विलम्ब हो जाने से वहां उपस्थित नहीं होने की क्षमा चाहता हूं। सब महात्माओं को मोरा सादर प्रणाम कहियेगा । पूज्यश्री का सच्चा अनुरागी । मि. मिन्नो। सिन्ध सी० आइ० डी० (सीटी) कराची करांची से मेडिकल ऑफिसर प्रिन्सिपल वाइसप्रेसिडेण्ट और एग्जामीनर डाक्टर पी० वी० थारानी एम० सी० पी० एस० एल० एम० एस० अपने अंग्रेजी पत्र द्वारा सूचित करते हैं कि-"मैं तपस्वीराज के पूर पर हाजिर नहीं होसका जिसका खेद है। पूज्य श्री व सब महात्माओं से मेरा प्रणाम कहियेगा । यहां पर भी बहुत उपकार हुआ आदि २ । श्री जीवदया प्रचारक मण्डल कराची के मंत्री श्रीयुत मघालाल एम० शाह व जैन स्थान० श्री संघ कराची ने पत्र द्वारा सूचना दी है कि यहां पर तपस्वी राज के पूर पर गरीबों को मीठे चावल, रास्ते के भिखारियों को सेव बुन्दी तथा मघापोर के केदियों को मिठाई खिलाई गई है। निराधार जैन अजैन को मदद दी गई । कुत्तों को लड्डू व कबूतरों को जवार डाली गई आदि बहुत उपकार हुवे हैं। हैदराबाद सिन्ध हिन्दू सभा के प्रेसिडेन्ट श्रीमान् मुखी गोविन्दरामजी साहेब कराची से श्रीमान् लोकामलजी चेलारामजी साहिब आदि सज्जनों ने चिट्टियों द्वारा तपस्वीराज की सुख शान्ति चाही है। मेनेजर साहेब मैनेजमेण्ट ओगणा श्रीयुत राजसिंहजीसाहेब पंचोली लिखते हैं कि भादवा सुद १३ को अगता रखा गया व बकरे अमरिये किये गये और ईश्वर प्रार्थना की गई । सब मुनिराजों से वन्दना अर्ज करें। रामपुरा (ग्वालियर) से श्रीमान् सेठ हीरालालजी साहेब नलवाया लिखते हैं कि यहां पर १८ रोज के अगते हमेशा से पलते आए हैं । भादवा सुद १३ को अगता था ही चउदस पूर्णिमा को खास तौर से अगते रखवाये गये । बांदरवाडा से श्रीमान् मोहनसिंहजी साहेब पोखरणा लिखते हैं कि आपके पत्र मुआ फिक यहां पर सब काम बन्द कराया गया। बछडों छुडाया गया। बैलों से काम नहीं लिया । राज में भी सब काम बन्द रखा गया । Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003976
Book TitleGhasilalji Maharaj ka Jivan Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRupendra Kumar
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1975
Total Pages480
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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