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द्वारा पेश हुई के यहाँ पर पूज्यश्री घासीलालजी महाराज का चौमासा है, साथ मुनिश्री मांगीलालजी महाराज के छीयांसी दिन के उपवास है सो भादवा सुदी १३ बुधवार को तमाम मेवाड में अगता पलाया जाने और ॐ शान्ति ॐ शान्ति की प्रार्थना कराइ जाने का हुक्म फरमाया जावे । लिहाजा लिखी जावे है कि शहर में भादवा सुद १३ बुधवार ता० सितम्बर सन हाल को अगता रखावोगा. और जिले जात के हेड क्वाटर्श जिले के गावों में व ठिकाने जात में भी उस दिन अगता रखाने के लिए मुतालकोन को लिखा गया है । १९-९-५ भादवा विद ता. २४-८-१९-३५
इसके फलस्वरूप मेवाड के साढे दस हजार गावों में उस दिन जीवहिंसा बन्द रही एवं उस गेज तमाम आरम्भ के कार्य बन्ध रहे, जिससे लाखों पंचेन्द्रिय व स्थावर जंगम असंख्यात जीवों को अभय दान मिल ने का भारी उपकार हुआ। जेल के तमाम कैदियों से उसरोज मशक्कत नहीं ली गई । सरकारी स्कूल में सिरस्ते तालीम द्वारा सूचना कर दी गई थी जिससे सर्व दर्शनार्थ आये।
दर्शनार्थी आगन्तुक बन्धुओं के लिए बहुत उचित प्रबन्ध किया गया था । श्रावण भादवा मास में श्रीयुत शोभालालजी साहिब जावरियां की तरफ से भोजन का प्रबन्ध था। स्वयं सेवक उनकी सेवा कर ने में सदा तत्पर रहते थे । मेवाड के करीब ३००० मनुष्यों के अलावा दिल्ली, आगरा, कराची, बेला पुर, इन्दौर, अजमेर, ब्यावर, बीकानेर, जोधपुर, पाली पंजाब, अभृतसर लाहौर आदि कई अन्य शहरों के प्रतिष्ठित सज्जन दर्शनार्थ पधारे थे । जिनका स्वागत स्टेशन से ही स्वयं सेवकों के द्वारा कराया गया । जैन सराय, चतुरों का नोहरा, बदनोर की हवेली, आदि कई बडे बडे अन्य स्थानों में आगन्तुक बन्धुओंको ठहराया। आये हुए महमानों के लिये वैसे तो पहिले से ही सब प्रबन्ध था। मगर खाश कर इस मौके पर भादवासुदी ११ १२ को श्रीमान् सेठ शोभालालजी साहेब जावरिया की तरफ से व १३ को श्रीमान् सेठ चान्दनमलजी सा. जीवनलालजी सा० नलवाया व खूबीलालजी सा० सिंघवी की तरफ से व १४ के दिन श्री महावीर मण्डल की तरफ से व पूर्णिमा के रोज श्रीमान् मनोहरसिंहजी गणेशीलालजी साहेब मेहता की तरफ से व आसोज सुदी बीज प्रातः काल को श्रीमान् रतनलालजो नन्दलालजी महेता के कुंवर मा स्टर सा० श्री शोभालालजी मेहता की तरफ से व सायंकाल को गोगुंदा निवासी जोधराजजी साहब सिंघवी की तरफ से मेहमानी की गई थी। पूरके अवसर पर स्पेशल जैन रत्न प्राइवेट स्कूल एवं स्पेशल जन रल कन्या पाठशाला के बालक बालिकाओंने भजन ड्रामा व्याख्यान आदि सुनाये ।
शान्ति प्रार्थना व पूर के रोज व्याख्यान में करीब ६-७ हजार जनता की उपस्थिति में विशाल अ क्षयभवन परिपूर्ण भर गया था। पूज्य श्री के-दान शील तप भाव अहिंसा आदि विषयों पर सारगर्भित भा षण को सुनकर आई हुई जनता मुग्ध हो उठी ।
सरकार की ओर से श्रोताओं के लिये सामियाने आदि से भव्य मण्डप ध्वजा पताकाओं द्वारा सुशो भित तैयार किया गया था। स्वयं सेवक दल अपनी अटूट सेवा भक्ति से कार्य करने में जुटो हुआ था। पूर के रोज पूज्य श्री व मुनिराजों के तथा अन्य वक्ताओं के भाषण और कीर्तन होने के बाद एवं व्या ख्यान समाप्ति के बाद आई हुई जनता को श्रीमान् एक धर्म प्रेमी सद्गृहस्थ की तरफ से श्रीफल (नारियल) की प्रभावना दी गई। श्रीमान् वकिल मोहनलालजी साहब नाहर व रुघनाथसिंहजी साहिब बाबेल की तरफ से सैकडों अनाथ गरीबों को लड्डू पुरी का भोजन कराया गया। इसके अतिरिक्त श्री जैन महावीर मण्ल की तरफ से कुत्ते व बन्दरों को लड्डू पुडी गायों को घास व मच्छियों को चने डलवाये गये। एक दफा फिर कैदियों को मिष्ठान भोजन कराया गया। पारने के रोज सैकडों बकरों को अभय दान मिला । बाहिर के अन्य शहरों में भी इस मौके पर बहुत उपकार हुआ । बालोतरा मारवाड में कत्लखाना बन्ध
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