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________________ २९० हमारे अहोभाग्य से पूज्य श्री हकमीचन्दजी महाराज की संप्रदाय के पण्डित प्रवर साहुछत्रपति कोल्हापुर राज्य गुरु श्री जैन शास्त्राचार्य पद भूषित पं. श्री घासीलालजी महाराज साहित्यप्रेमी मनोहरलालजी महाराज योगनिष्ठघोर तपस्वी श्री सुन्दरलालजी महाराज शास्त्राभ्यासी मुनिश्री समीरमलजी महाराज, प्रिय व्याख्यानी श्री कन्हैलालजी म० तपस्वीश्री केशवलालजी महाराज, श्री मंगलचन्दजी महाराज लघु तपस्वीश्री मांगीलालजी म. नवदीक्षित श्री विजयचन्दजी म० आदि ठाना ९ का चातुर्मास है। पंडित प्रवर श्रीघासीलालजी महाराज के ओजस्वी व्यख्यान में नित्य जैन अजैन जनता खूब ही उत्कंठित भाव से आ-आकर लाभ ले रही है । धर्म ध्यान का ठाट लग रही है । आज हमें लिखते हुए अत्यन्त हर्ष होता है की तपस्वी श्रीसुन्दरलालजी महाराज ने अषाड सुदी १० गुरुवार ता० ११-७-३५ से उपवासों की तपश्चर्या प्रारंभ की थी जिसका पूर मिति आश्विन शुक्ला ११ मंगलवार ता० ८ १० ३५ को होगा । एतदर्थ आपश्री संघ की सेवामें निवेदन है कि आप इस महान् कल्याण कारी प्रसङ्ग पर सकुटुम्ब पधार कर हमें सेवा करने का लाभ दें । इस प्रसंग पर बाहर से अनेक राज्याधिकारियों के पधारने की संभावना है। इस शुभ अवसर को सफल बनाने के लिए तपस्वीजी ने इस प्रकार आदेश फरमाया है कि संसार की, देश की, राज्य की व अपनी अपनी शान्ति के लिए ता० ८ १० ३५ के दिन अगता (पाखी) रक्खा जावे । अगते के दिन निम्र नियमों का पालन करें (१) कम से कम एक घंटे तक सामूहिक प्रार्थना एवं भजन कीर्तन करें। (२) मदिरापान मांसभक्षण शिकार व जीवहिंसा न करें। (३) ब्रह्मचर्य का पालन करें ( ४ ) सावद्य ( हिंसात्मक ) व्यापार बन्द रख कर धर्मध्यान करें । (५) बछडे आदि को दुध की अन्तराय न दें अर्थात् उस दिन दुधालू जानवर को न दुह कर वछडों को दुध पीने दिया जाय तपस्वीजी के आदेशानुसार श्रीमान् ठाकुर साहब रावजी साहव दीवान साहब मामलतदारसाहब महालकारीसाहब जागीरदारसाहब सुप्रिटेन्डसाहब तहसीलदारसाहब आदि तमाम राज्यकर्मचारीगण राज्य की, देश की, व अपनी अपनी शान्ति के लिए अपनी अपनी रियासत तालुका तथा जिले में उपरोक्त फरमान के अनुसार अगता रखने की कृपा करे तथा ॐ शान्ति प्रार्थना करें एवं करावें । तपस्वीजी की आज्ञा का पालन कर अपनी तरफ से यथा शक्ति हरएक व्यक्ति जीवों को जरूर अभयदान देवें और गरीबों को मदद करें । उस दिन कम से कम एक जीव को तो अवश्य अभयदान दें अमरिया करें । साथ इस अवसर पर आपने अपने यहां जो भी शुभ कार्य किये हों उसकी सूचना हमें देकर कृतार्थ करें। निवेदक-समस्त स्थानकवासी जैन संघ कराची ___ इस प्रकार की सूचना मिलते ही हजारों ग्राम नगर निवासियों ने तपस्वीजी के पुर के दिन विश्वशान्ति के लिए सामुहिक प्रार्थना की । पाखी रख कर उस दिन समस्त सावद्य प्रवृत्ति का त्याग रखा गया अनेक रियासतों के ठाकुरों जागीदारों राजा और माहाराओं ने तपस्वीजी की यादगार में अपने समस्त राज्य में अगता रख कर उस दिन जीवहिंसा बन्द रखी। शिकार, मांसाहार. जुआ परस्त्रीगमन आदि दुर्व्यसनों का त्याग रखा । हजारों व्यक्तियों ने उस दिन जीवों को अभयदान दिया। सामायिक प्रतिक्रमण उपवास आय बिल आदि धार्मिक कार्यों से उस दिन को सफल किया। इस अवसर पर उदयपुर के महाराणा श्री भूपालसिंहजी ने अपने समस्त राज्य में अगता रखने का आदेश जारी कर जीवहिंसा बन्द रखी। मेवाड के सोलह ठिकानों के राजा साहब जागीरदारों एवं ठिकानदारों ने उस दिन अपनो समस्त रियासत में जीवहिंसा बन्द रखी । जिन जिन प्रान्तों में महाराजश्री ने विहार किया था और जिन जिन ग्रामों में विचरते थे उन सब ने उस दिन महाराजश्री के आदेश से खूब धर्म ध्यान किया। इस शुभ अवसर पर जिन जिन ठिकानदारों ने ग्रामों में अगता रखा उसकी पत्र द्वारा सूचना कराची संघ को कर दी । स्थानाभाव के कारण उन सर्व पत्रों की प्रतिलिपि Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003976
Book TitleGhasilalji Maharaj ka Jivan Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRupendra Kumar
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1975
Total Pages480
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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