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सभी कर्मचारी गण अपने परिवार के साथ बड़ों संख्यामें उपस्थित हुए । महाराज श्री के प्रवचन से प्रभावित हो स्टेशन मास्टर श्री होतचन्दजी भोजराजजी एवं उनके परिवार वालों ने पांच तिथियों में लीलोत्री रात्रि भोजन एवं कुशील सेवन का त्याग किया । मास्टर जेठानन्द दिवान ने लोरी क्लर्क समुला ने चार महिने तक अखण्ड ब्रह्मचर्य का व्रत लिया । संन्यासी उत्तमगिरिजी मंगलगिरीजी ने आप से अनेक धार्मिक परम्परा के विषय में प्रश्न किये । और संपूर्ण समाधान पूर्वक जवाब मिलनेसे बडे प्रभावित हुए । रावल कालीदास विसराज आदि अनेक भाईयों ने दारु, मांस एवं जीववध का त्याग किया । सायंकाल के समय चार बजे
आपने अपनी मुनिमण्डली के साथ विहार कर दिया । छ सील का विहार कर आपने सूर्यास्त के समय एक पुल के नीचे ही रात्रि निवास किया । रात्रि के बारह बजे का समय था । सभी मुनिराज नीरव रात्रि में प्रगाढ निद्रा में थे । आप भी अपने ध्यान समाप्त कर शय्या पर सो ही रहे थे कि एक गोहिरे ने आप के निलाड पर फूंक मारी । जहरीलो फूंक का असर हआ। आंखे सूज गई और सिर चकराने लगा । आपने इस अवस्था में भी रात्रिको किसी मुनि को नहीं जगाया । सोचा ये सभी मुनिराज मार्ग के श्रम से थके हुए हैं उन्हें जगाकर कष्ट देना उचित नहीं । आप बैठ गये और नवकार मंत्र का स्मरण करने लगे। कुछ क्षण के बाद तो जहर का असर कम हो गया । एक घंटे के बाद पूर्ववत स्थिति हो गई । यतो धर्मस्ततो जयः इस वाक्य की सार्थकता यहों दृष्टिगोचर हुई । मुनिश्रीजी सो गये । रात्रि बडी शान्तो के साथ व्यतीत हुई। सूर्योदय के बाद आपने विहार कर दिया । दस मील का लम्बा विहार कर आप ता० २५ जून को बदीराबाद पाधारे । स्टेशन पर बिराजे । आहार पानी ग्रहण करने के बाद आपका प्रवचन हुआ । प्रवचन में रेलवे के सभी कर्मचारी गण उपस्थित हुए । प्रवचन के पश्चात् मास्टर तेजभानदासजी आरोडा एवं भाई शिवदयालजी रिलीफबाबू ठाकुरसिंहजी आदि ने पांचो तिथियों में शीलवत पालने का नियम लिया । तथा लीलोत्री एवं रात्रि भोजन का त्याग किया । साथ ही साथ प्रतिवर्ष एक एक बकरा अमरिया करने का भी प्रण लिया । मोहम्मद इब्राहीम सालीमोहम्मद, जानमोहम्मद, मीठे
महोम्मद करीमदाद परिदाद आदि मुसलमान भाईयों ने महिने में पांच दिन के सिवाय मांस खाने का त्याग किया । कुछ सिन्धी भाई एवं मुसलमान भाई ने यावज्जीवन के लिए मांस मदिरा एवं जीव हिंसा का त्याग किया । और भी अन्य त्याग प्रत्याख्यान हुए । ___ सायं काल चार बजे के समय महाराजश्री ने विहार कर दिया । और सरोडा नामक स्टेशन पर ठहरे । यह स्टेशन सूना था । तीन चार भाई जो कि मुसलमान थे ये ही स्टेशन का संरक्षण कर रहे थे । महाराजश्री के उपदेश से इन्होंने सर्वथा मांस, मदिरा का त्याग कर दिया ।
प्रातः होते ही महाराजश्री ने विहार कर दिया । ५ मील का लंबा विहार कर आप जुंगशाही पधारे । यहां स्टेशन पर ही आप बिराजे । स्टेशन मास्टर रामविलासजी ने आपका उपदेश सुना । राजा इन्डस्टीज के मालक जेठालालभाई ने बडी भक्ति की यहां कराची का श्रीसंघ महाराजश्री के दर्शन के लिए आया । जेठालाल मावजीभाई ने संघ को अच्छो सेवा की। मध्यान्ह के समय महाराजश्री का प्रवचन हुआ। प्रवचन में कारखाने के सभी मजदूर भी आये । गांव के अन्य अजैन भाई भी बड़ी संख्या में उपस्थित हुए । मानव जीवन की दुर्लभता पर आपका प्रवचन हुआ । प्रवचन का उपस्थित जनता पर अच्छा प्रभाव पडा, व्याख्यान के बाद अनेक मुसलमान भाईयों ने तथा सिन्धियों ने एवं कारखाने के मजदूरों ने दारु, मांस, एवं जीवहिंसा का त्याग किया तथा अन्य भी छोटे बडे प्रत्याख्यान किये यहां सांप एवं बिच्छ अधिक पाये जाते हैं । यहां के लोग देखते ही सांप बिच्छूओं को मार डालते । महाराजश्री के उपदेश से सेकडों व्यक्तियों ने सांप बिच्छू आदि प्राणियों को मारने का त्याग किया । यहां दो दिन महाराजश्री
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