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________________ २७२ आदि अनेकों राजपूतों ने एकादशी, अमावस्या आदि तिथियों में शिकार करने की प्रतिज्ञा की । बंदनोसोढा (जाति विशेष) तथा ठा० छत्तरसिंहजी ने एकादशी, अमावस्या, पूर्णिमा जन्माष्टमी, ऋषिपंचमी को दारु तथा माँस सेवन का त्याग किया । रामसर के समीप छोटे खारची नामक गांव के निवासी सिन्धी मुसलमान तथा पादीकोपाहर ग्राम निवासी जांगलो नाम के भलों ने महाराजश्री के उपदेश से सदा के लिये दारु, मांस एवं जीव हिंसा का त्याग किया । ट्राफिक इन्स्पेक्टर अतोमुहम्द जालन्धर निवासी ने आपका व्याख्यान सुना और महाराजश्री के त्याग मय प्रवचन से प्रभावित हो कर बोला-"मैं आपका उपदेश सुनकर आज से शराब की तोबा करता हूं। और मेरे हाथ से किसी भी प्राणी को मारने याने जान लेने की और महीने में पंद्रह रोज गोस्त खाने की तोबा करता हूँ। मेरे अच्छे नसीब हैं सो आप जैसे बडे ओलियों का दीदार हुआ । " आप करीब तीन चार दिन रामसर में हो बिराजे बड़ा भारी उपकार हुआ । स्थानीय जनता ने आपका उपदेश बडी रूचि के साथ सुना । अनेकों ने जीवहिंसा, दारू, मांस परस्त्रीगमन शिकार आदि दुर्व्यसनो का त्याग किया । आपने जव विहार किया । तो सैकडों रामसर निवासी दूरतक पहुँचाने आये । विहारकर आप गागरिया पधारे । रामसर से गागरिया ६ मील होता है। २० मई को आप मध्यान्ह के समय गागरिपधारे। यहां से लेकर कराची के पास करीब मलीर तक सो का एवं विषैले जानवरों का बड़ा उपद्रव रहा । सैकडों सर्पराज नागराज इधर उधर बडी शान के साथ टोल में रहते थे कभी आपस में लडते नजर आते थे तो कभी अपनी विशाल फण फैलाकर बड़ी मस्ती में झुमते नजर आते थे । महाराजश्री को मार्ग में इस प्रकार के सैकड़ों सर्प राज नजर आते थे । मानो सडक के दोनो ओर खडे होकर महाराजश्री का स्वागत हि कर रहे हों। गागरिया में अहार पानी करने के पश्चात् आपका प्रवचन हुआ । आपके प्रवचनकी सूचना समस्त गांव वालों को करादी गई थी। सूचना मिलते ही सैकड़ों स्त्री पुरुष महाराज श्री के व्याख्यान में उपस्थित हुए । व्याख्यान सुनकर बडे प्रसन्न हुए। आपके उपदेश से प्रभावित हो श्री धन्नारामजी पी. डब्लु और इन्सपेक्टर श्री प्रतापजो ने एकादशी अमावस्या, पूर्णिमा इन चार तिथियों में रात्रिभोजन तथा कुशील सेवन का त्याग किया । जोधपुर निवासी बाबू राधालालजी ने उक्त चार तिथियों में कुशील सेवन का एवं रात्रिभोजन का त्याग किया । डिगाना निवासी स्टेशन मास्टर प्यारेलालजी कायस्थ एवं तार बाबू जगदम्बालालजी ने भी प्रवचन सुना और त्याग प्रत्याख्यान ग्रहण किये । श्रीमान् बिरदीचन्दजी ने आपसे सम्यक्त्व ग्रहण की । और भी अनेक उपकार हए आपश्रीने यहां से सायंकाल के समय विहार कर दिया । करीब तीन मील पर बारहमासियों की ढाणी थी वहां रात्रि में आपने विश्राम किया। यहां भी आपका प्रवचन हुआ । सुखीया और मिटु आदि भीलों ने आपके उपदेश से दारु, मांस एवं शिकार का त्याग किया । और चोरी न करने की प्रतिज्ञा की । २१ मई को प्रात होते ही आपने अपनी मुनिमण्डली के साथ गगरारोड की ओर विहार किया। नौ मील का लम्बा विहार कर आप गगरा रोड पधारे । यहां स्टेशन पर ही एक क्वाटर्स में बिराजे । स्टेशन मास्टर उदेचन्द्रजी कायस्त तार मास्टर उमरावचन्दजो कायस्थ एवं राव साहेब पंडित हरगोन्विद दासजी के भतीजे शांति लालजी तार मास्टर ने आपकी बडी सेवा की । आपने कराची सेआये हुए श्रीयुत् कानजीभाई, डॉ. निहालचन्दभाई, छगनलालभाई भाईलालभाई आदि बहुतसे सज्जनों की भोजनादि से बडी सेवाकी । मुनिराजों की भी बड़ी सेवा की । यहाँ आपका प्रवचन रखा गया । प्रवचन में स्टेशन के कर्मचारी बडी संख्या में उपस्थित हुए । अनेकों ने यथाशक्ति त्याग-प्रत्याख्यान ग्रहण किये यहां बडा रेगि Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003976
Book TitleGhasilalji Maharaj ka Jivan Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRupendra Kumar
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1975
Total Pages480
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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