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________________ २७० करने का त्याग किया । १० मई के प्रातः सात मील पर उतरलाई महाराज श्री मुनि मण्डल के साथ पधारे । यहां के स्टेशन मास्टर मेघराजजी शाकद्वीप ब्राह्मण और करणीदानजी पुष्करणा ब्राह्मण है । तथा हवाइ जहाज के स्टेशन मास्टर लोकेशरायजी महाराज श्री के व्याख्यान से बडे प्रभावित हुए । यहां बाडमेर के बहुत श्रावक दर्शन के लिये आये । रात्री में महाराज श्री की सेवा में ही रहे । व्याख्यान श्रवण कर अनेकों ने त्याग प्रत्याख्यान ग्रहण किये । रावली ढाणी के जागीदार बाड़मेर के ठाकुर साहब जेठमलसिंहजी ने ताजिन्दगी शिकार तथा तलवार से जीवहिंसा का त्याग किया और वैशाख श्रावण तथा भाद्रपद इन महीनों में एकादशी अमावस्या और पूर्णिमा प्रत्येक मास की इन चार तिथियों में दारु मांस काम में न लेने का प्रण किया। आपके कुंवर साहब नाथूसिंहजीने एकादशी अमावस्या तथा पूर्णिमा ईन चार तिथियों में शिकार दारु मांसका परित्याग किया । आप की ठुकरानी साहब ने एकादशी अमावस्या तथा पूर्णिमा की लिलोती का त्याग किया। आपके प्रधान गिरधारीसिंहजी ने तलवार से जीव हिंसा का सर्वथा परित्याग किया। आपके काका साहब अमरसिंहजी ने श्रावण भाद्रव मास में एकादशी अमावस्या पूर्णिमां प्रत्येक मास की इन चार तिथियों में दारु मांस का परित्याग किया और शिकार का त्याग किया और प्रतिवर्ष एक बकरा अमर करने का प्रण लिया। ठाकुर साहब सगतसिंहजी ने एवं उनकी ठकुरानी ने उपरोक्त तिथियों में दारू मांस तथा लिलोती का परित्याग किया । ता० १२ मई को बिहार कर महाराजश्री सात मील पर अच्छा स्वागत किया। यहां करांची से तार आया जिसमें डॉ मिली । डॉक्टर साहब १२ मई को आये । तपस्वीजी महाराज दिया । दिन में महाराज श्री का जाहीर व्याख्यान रखा गया । । बाडमेर यह मलाणी प्रांत का मुख्य नगर है । यह जोधपुर लाइन का बडा स्टेशन है । यहां से जेसलमेर ११० माईल पडता है । कहा जाता है कि कहा जाता है कि पुराने बाडमेर का नाश होने पर वि, स. १८०१ में रावत रताजीने पुनः नया बाडमेर बसाया था। यहां की आवक के हिस्सेदार तीन सो जागीरदार है इन जागीदारों में पांच जागीरदार रावत की उपाधिवाले हैं । वि सं १८८९ में अंग्रेजों ने ईस नगर को लूटा था और यहां के जागीरदारों को पकड़ कर राजकोट ले गये और वहां उन्हें नजर कैद रखे गये थे कच्छ भूज के दरबार ने इनको मुक्त करवाया था १८९२ में यह प्रदेश जोधपुर के शासन में मिल गया यहां जैनों की करीब ४०० घर की बस्तो है । ये प्रायः ओसवाल हैं और मूर्तिपूजक संम्प्रदाय के अनु. आई है । दस बारह घर स्थानवासियों के भी हैं । महाराज श्री के पधारने पर सभी लोगोंने महाराज श्री की अच्छी भक्ति की यहां आप के तीन जाहिर प्रवचन हुए सैकडो की संख्या में व्याख्यान । श्रवण के लिए लोग उपस्थित हुए। वहां के हाकीम मगरूपचन्दजी भण्डारी तथा स्टेशन मास्टर मन मोहनचन्दजी भण्डारो हेड फोन्स्टेबल बहादुरमलजी सरकारी डॉक्टर संपतलालजी पोद्दारमानचन्दजी रीडर पोलिस सुपरिटेण्ड मानमलजी ये सब जैन ओसवाल है इन सबने महाराज श्री का व्याख्यान श्रवण अपनी अच्छी भक्ति का परिचय दिया । । किया और Jain Education International बाडमेर पधारे। यहां की जनताने आपका न्यालचन्द रामजीभाई के आने की खबर की आँखे जाञ्चकर चस्मे का प्रबन्ध कर जोधपुर लाईन के कन्ट्रोलर हरगोविंददास भाई जो राय साहेब के नाम से सुप्रसिद्ध है। इनका हेड क्वाटर मिरपुर खाश में है इनका रहन सहन अत्यन्त साधा और स्वभाव से अत्यन्त सरल है । साधु सन्तों के प्रति आपकी असिम भक्ति है । आपने जब महाराज श्री का शुभ आगमन इस तरफ का सुना तो आपने हर स्टेशन मास्टर को तार से महाराज श्री के पधारने की सूचना दी। साथ ही इंजिन का गरम पानी और ठहरने के लिए स्टेशन पर स्थान का इन्तजाम करवाया तथा महाराजश्री के पधारने की For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003976
Book TitleGhasilalji Maharaj ka Jivan Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRupendra Kumar
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1975
Total Pages480
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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