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________________ २५७ अगता पाला जायगा । एकादशी अमावस्या तथा श्राद्ध पक्ष में शिकार व मांस मदिरा का मैं त्याग करता हूँ। दस्तखत सोनसींग ठाकर करीयो ये उपर लिखी तीन सोगन ठाकर साहब के काकाजी डूंगरसिंगजी भी पालेगा दः सेलाणी ठाकर साब डूगरसिंहजी के अंगूठारी छ । सिध श्री गांव बासणी डाबरारी सीव में गाडणारी में जैन धर्म के प्रसिद्ध वक्ता पंडितरत्न आशुकवि श्री श्री १००८ श्री घासीलालजी महाराज मनोहर व्याख्यानी मुनीश्री १००७ श्री मनोहरलालजी म० घोर तपस्वी श्री १००७ श्री सुन्दरलालजी महाराज आदि ठाना ९ से संवत १९९२ रा मिती वेशाखवदी १ शुकर वार ने सामको पधारिया । महाराज श्री का रातको धर्मोपदेश हुवा जिनसु हमारे अठे धर्म की जागृति हुई । महाराज श्री के अपूर्व उपदेश से अठे हमलोग नाचे मुजब प्रतिज्ञा करी १ हमारे हाथ सु कभी जींव हिंसा नहीं करूंगा। (२) अगियारस अमावस पूनम और जन्माष्टमी ऋसीपांचम श्राद्धपक्ष इन दिनों में जीवहिंसा व मांस दारु काम में नहीं लिया जासी आ अगुठारी सेलाणी ऊमरदानजी री छे । दः मूलचंद व्यास (१) इग्यारस अमावस को हल नहीं जोतांगा ? भैरुजी के पहले हिंसा होती थी सो अब आज सु बन्द है । मीठी परसादी कर दी जासी । (४) एक एक अमरिया नीचे लिखे नामवाले महानुभाव करेंगे१जावरदानजी २अभेदानजी ३ जोरदानजी ४ वंशीलालजी देशनोक बाला ५ रेवतदानजी ५ मुरारदानजी । तथा बाया ने भी लीलोती में गाजर आदि के सोगन किये है। पटारा दसखत पंडित मूलचंद व्याँसरा छे. गांव वाला रे सामने उणारे केणे सु लिखियो छ । नागोर से विहार कर आप अलाय पधारे । अलाय नागोर से १० १२ मील पडता है । आपके पधारने से जनता में धर्म ध्यान की अच्छी वृद्धि हुई । जनता पर आपके व्याख्यानों का अच्छा प्रभाव पडा । यहां के ठाकुर तेजसिंहजी तो आपके उपदेश से खूब प्रभावित हुए। मुनि श्री के प्रति ठाकुर साहब की बडी श्रद्धा भक्ति थो। आपके उपदेशों से प्रभावित होकर जीव दया के पट्टे लिखकर महा. राज श्री की सेवा में भेट किये । उस पट्टे का सार यह था (१) अष्टमी, एकादशी, पूर्णिमा और अमावस्या के दिन हमारी हद में किसी भी प्राणी की शिकार नहीं की जावेगी । (२) संवत्सरी के दिन अगता पाला जायगा । (३) तपस्वीजी के नाम से प्रति वर्ष एक एक बकरा अमरिया किया जायेगा । (४) श्राद्ध के दिनों में मांस का सेवन एवं शिकार नहीं करेंगे (५) कृष्ण जन्माष्टमी श्रीपार्श्वनाथ जयन्ती (पोष सुदी १०) श्री महावीर जयन्ती (चैत्र शुक्ला त्रयो. दशी, तथा पर्युषणों के आठ दिन अगता पाला जायगा । (६) महाराज श्री जब कभी यहां पधारेंगे उस दिन एवं वापस विहार करेंगे उस दिन अगता रखा जायगा । (७) दसहरे के दिन सर्वथा जीव हिंसा बन्द रहेगो । उस दिन जीवों के स्थान पर देवी देवता को मीठी प्रसादी चढाई जावेगी। ये सब नियम मेरी वंश परम्परागत पाले जावेंगे । उस दिन महाराज श्री ने एक नव दीक्षित मुनि को बडो दीक्षा दी । दीक्षा के अवसर पर अच्छा धर्मध्यान एवं तपस्या हुई थी। बाहर के दर्शनार्थियों की अच्छी उपस्थिति रही। बडो दीक्षा के अवसर पर ठाकुरसाहब ने पांच बकरों को अभयदान दिया। उस अवसर पर ठाकुर सा० तेजसिंह जी के दादा ठाकुर सुलतानसिंहजी ने इस प्रकार ने नियम ग्रहण किये । Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003976
Book TitleGhasilalji Maharaj ka Jivan Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRupendra Kumar
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1975
Total Pages480
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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