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________________ २५६ मुनिवर के लिए ही नहीं किन्तु इस समय जो भी मुझ से आंख का ऑपरेशन करावेगा उनसे भी एक पैसा भी नहीं लूंगा । डॉक्टर साहेबने तपस्वी श्री सुन्दरलालजी महाराज का बडी सफलता के साथ ऑपरेशन किया । उस अवसर पर कुछ सतियों ने एवं अनेक गरीब स्त्री पुरुषों ने ऑपरेशन करवाया । डॉक्टर सा० ने किसी से एक पैसा भी नहीं लिया और बडे निस्वार्थ भाव से उसने सेवा की । सब ने डाक्टर का अच्छा सम्मान किया । कुछ दिन नागोर में ही स्थिरवास रह कर आपने अपनी सन्त मण्डी के साथ अन्यत्र विहार कर दिया । मार्ग मे पधारते हुए आपको वाणी से महान उपकार हुवा । श्री सिद्ध श्री गांव डॉबरा में श्री जैनधर्म के सुप्रसिद्ध वक्ता पण्डितरत्न आशुकवि श्री श्री १००८ श्री घासीलालजी महाराज मनोहरव्याख्यानी श्री १००७ श्री मनोहरलालजी महाराज घोरतपस्वी श्री १००७ श्री सुन्दरलालजी महाराज आदि ठाना ९ से सं १९९२ का मिति वैशाख वदी १ सुकरवार ने पधारया । दुपहर में महाराज श्री का अपूर्व उपदेश हुआ । जिससे हमलोगों में बडी भारी जागृति हुई । महाराज श्री के उपदेश से हम लोगों ने नीचे लिखे मुजब प्रतिज्ञा करी १ इग्यारस अमावसको बंदूक किसी जानवर पर नहीं चलावेंगे । श्राद्ध पक्ष में मदिरा मांस भक्षण तथा शिकार नहीं की जायगी । ३ ऋसी पञ्चमी इग्यारस अमावस तथा श्राद्ध पक्ष में मांस मदिरा काम में नहीं ली जायेगी तथा किसी जानवर पर गोली नहीं चलाई जायगी जावजीव तक के वास्ते दः दलसीध दः मालमसींध श्री सिद्ध श्री गांव धनायरी में जैन धर्म के प्रसिद्ध पंडितरत्नमुनि श्री १००८ श्री घासीलालजी महाराज मनोहर व्याख्यानी मुनि श्री १००७ श्री मनोहरलालजी महाराज घोरतपत्वी श्री १००८ श्री सुन्दरलालजी महाराज आदि ठाणे ९ से संवत १९९२ मिति चेत सुदी १४ बुधवार को पधारे। श्रावकों के बड़े आग्रह से महाराज साब ने पखी का प्रतिक्रमण किया और दुपहर में तथा रात को आदर्श वाणी से धर्मोपदेश दिया उस उपदेश से धर्म में अपूर्व जागृति हुई । महाराज श्री के उपदेश से मैंने निचे लिखे मुजब प्रतिज्ञा की - १ वैशाख मास में शिकारव मांस मदिरा का त्याग । २ ऋषि पंचमी को भी इनका त्याग । ३ एकादशी को भी त्याग ४ श्राद्ध पक्ष में भी त्याग ५ प्रतिसाल बच्चे की शालगोर में प्रतिवर्ष तपस्वीराज के नाम पर एक बकरो अमरिया करूंगा दः हरीसी मरा -- श्री सिद्ध श्री गांव जेतियास में जैन धर्म के सुप्रसिद्ध वक्ता पंडितरत्न ओशुकवि मुनि श्री १००८ श्री घासीलालजी महाराज मनोहर व्याख्यानी पंडित मुनि श्री १००७ श्री मनोहरलाल जी महाराज घौर तपस्वी जी श्री १००७ सुन्दरलालजी महाराज आदि ठाना ९ से संवत १९९२ मिति वैशाशवदि १ शुकरवार ने अठे पधारिया । महाराजसाब का धर्मोपदेश हुवा। जिनसु अठे धर्म में अपूर्व जागृति हुई । और महाराज साबके उपदेश मैं नीचे लिखिया मुजब प्रतिज्ञा करी है १- दर एकादशी व अमावस के रोज शिकार नहीं करणी । २ - एकादशी के रोज शराव तथा मांस काम में नहीं लिया जायेगा । ३ - श्राद्ध पक्ष में भी ये चीजें काम में नहीं ली जायगी । ४ - जन्माष्टमी तया ऋसी पंचमी का भी त्याग है । ५ - सालो साल तपस्वोजी महाराज के नाम पर १ बकरा अमरिया किया जायेगा । ६ - तपसीजी महाराज इण गाम में जब कभी पधारेंगे तो आने जाने के दो दिन Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003976
Book TitleGhasilalji Maharaj ka Jivan Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRupendra Kumar
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1975
Total Pages480
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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