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वंद ११ अग्यारस
दः ठाकुर तेजसीह ठि. श्री अलाय (मारवाड) इस अवसर पर ठाकुर साहब ने पांच जीवों को अभयदान देकर अपनी धार्मिक श्रद्धा का परिचय दिया ।
श्री
श्रीमान महाराज श्री १००८ श्री घासीलालजी म. सा. ठा० ८ से कुचेरा में बिरामान थे । श्रीमान ठाकुर साहेब सीवदानसिंधजी साहेब रूपातल ठिकाणो से दर्शनाथ पधारे । तपस्वीजी श्री १००७ श्री सुन्दरलालजी म. साहेब के तपस्या दिन ९१ के पुर की खुशी में नीचे मुजब त्याग करता हूं ।
१ एक बकरा सालोसाल तपस्वीजी के नामसू अमर करता रहूंगा । २ उनाले चोमासे सीयाले अर्थात् बारो महीना की तीथी ११ “अमावस को रात को नहीं जीमूंगा और लीलोत्री भी नही खाउंगा ३ और कोई प्रकार की हिंसा नहीं करूंगा । ४ दारु मांस जाव जीव तक भक्षण नहीं करूंगा ५ कोला को साग हरो तथा सूको साग नहीं खाउंगा । ६ हमारे समझ आवेगा वैसा परोपकार करुंगा । मीति सं. १९९१ आसोज वदी १३ शनीवार ठाकर सा० के हुक्म से लीखा
दः बालचन्द भरूठ परोद निवासी दः सीवदानसिंध
श्री
श्रीमान श्री महाराज श्री १००८ श्री घासीलालजी म० मनोहरलालजी म० ठाना ८ से कुचेरा में बिराजमान हैं । श्रीमान ठाकुर साहेब बलवन्तसहिंजी साहब अडवड ठिकाणा सु पधार कर तपस्वीजी श्री सुन्दरलालजी म. सहाब का दर्शन कर इन मुजबरो त्याग कर्यो ।
१ सावन तथा कार्तीकी १०, ११, १२, १३, १४ और १५, भादवासुदी ४, ५ को मांस नहीं खाऊंगा और जीव हिंसा नहीं कराला । २ दरसाल एक एक बकरा अमरिया करूंगा । ३ घर की बकरी को कसाई ने नहीं दूंगा । संवत १९९१रा आसो सुद ४ दः बलवंतसीह अडवड
श्री
श्रीमान महाराज श्री १००८ श्री घासीलालजी महाराज मनोहरलालजी महाराज ठा. ८ से कुचेरा में विराजमान थे श्रीमान ठाकुर साहेब भोजराजसिंघजो साहब गोटनग ठिकाने से दर्शनार्थ पधारे तपस्वीजी श्री १००७ श्री सुन्दरलालजी म. साहब के तपस्या के दिन ९१ के पुर के खुशी में नीचे मुजब त्याग करता हूं।
१ मेरे हाथ से किसी गरीब जीव की जाण बुझकर हिंसा नहीं करूंगा। गोली से कीसी को नहीं मारूंगा और कभी न गोली से शीकार करूंगा । न गोली की सीकार करवाकर खाऊंगा
२ साल में एक बकरा तथा एक घेटा अमर कर दूंगा ३ इग्यारस तथा अमावस को मांस नहीं खाऊंगा ४ कोठो तथा भीडी बारक जावोजोव तक नहीं खाउंगा । लि. १९९२ का मीति आसोज वद १४ को लिखा ।
द: भाटी भोजराजसींग ठाकुर
श्रीमान् महाराज श्री १००८ श्री घासीलालजी महाराज साहेब ठा० ८ से कुचेरामें बिराजमान थे। श्रीमान ठाकर साहा श्री तेजसिंहजी सा. ठिकाना नीबडी से दर्शनार्थ पधारे। तपस्वीजी १००७ श्री सुन्दरलालजी महाराज म सा. के तपस्या के दिन ९१ का पूर की खुशी में नीचे माफक त्याग किया सो नीचे दरज है
१ हीरण की शीकार मैं आजन्म तक के लिये त्याग करता हूँ । २ आयारस “ अमावस १५.
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