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बाहिर करे - मंत्री व मुख्य साधु की राय लेकर फिर राय ली न किसी मुख्य साधओं की राय ली और वो कारण भी नहीं पूछा गया और एक दम आज्ञा कायदा की कलम नं. २५ का उल्लंघन हमारी तरफसे हुआ या कलम न. १४ का उल्लंघन पूज्यवर की तरफ से हुआ ईसका आपही विचार फरमालेवें और आपके गौर फरमाने पर आज्ञा बाहिर की जो घोषणा हुई है वो ठीक पाई जावे जत्र तो हमलोग उसकी तामील कर ही रहे हैं और अगर ठीक नहीं पाई जाय तो इसकी भी कुकर कोन्फरन्स मे इतला बक्षा वापस उठवाने की कृपा फरमावें । वगर खास वजह से इसतरह एकदम घोघगो होनेमें कितनी कठिनाईयों से सामना करना पड रहा है उसका पारावार परमात्मा ही जाने ।
आज्ञा बाहिर करे मगर पूज्यवर ने न तो मंत्री की जिस कारण से हमलोगों ने आज्ञा मंगवानी बन्द की बाहिर की घोषणा जाहिर कर दी सो कॉन्फरन्स का
४ आइन्दा जो चेले बनाये जावें वो युवाचार्यजी की नेश्राय ही में बनाये जावे ईसमें हमको यह शंका है कि ऐसा प्रस्ताव आजदिन तक इस संप्रदाय में बल्के दूसरी संप्रदाय में भी होना नहीं सुना गया है तो सिर्फ इस संप्रदाय के वास्ते ही खासकर यह प्रस्ताव क्यों कर पास फरमाया गया, अगर किसी खास वजह से यह प्रस्ताव ईस संप्रदाय के लिये ठीक समझा गया हे तो साथ ही खास कारण भी प्रकट होना चाहिये था । कि इस वजह से यह प्रस्ताव रखना जरूरी समझ कर रखा गया है। अगर कोई खास कारण इसके लिये अबतक तैयार नहीं है तो जबतक दूसरी संप्रदाय में यह प्रस्ताव पास न हो जाय तब तक इस संप्रदाय में भी इस प्रस्ताव को तामिल नहीं होना चाहिये । सो इसके लिये भी आप गोर फरमा प्रस्ताव की तामील मुल्तबी फरमाने की कारवाई फरमावे |
उपर लिखी अरज पर आप न्यायाधीश ठीक तरह से गोर फरमा व्यक्तिगत फैसले को वापस आपके इजलास में ले बतोर नजरसानी इन्साफ बक्षावें ।
व्यक्तिगत फैसला आप अपने सामने बतौर नजर सानी लेने में यह ख्याल फरमावेंगे के कॉन्फरन्स का कायदा निकले हुए को इतना अरसा हुवा अबतक क्योंकर खामोश रहे सो इसके लिए यह अरज है कि अव्वल तो कोन्फरन्स हुवे से जो कायदा पास होकर जारी हुवा उसमें कोई ऐसी मयाद नही रखी गई है कि इतनी मयाद में ही हरएक शक्ख अरजदार हो सकेगा । बाद खतम मयाद ऊसका कोइ ऊजर समायत नहीं होगा । दोयम हमको यह आशा थी कि पूज्यवर हमारी विनय पूर्वक अर्ज पर ध्यान फरमा खुद ही यह बात अपने हाथ में लेकर शान्ति का काम फरमा देवेंगे । मग़र वो बात भी हम लोगों के ऊम्मेद से बाहर रही व चौमासे की वजह से यह इतनी देर हुइ है वरना और कोइ वजह नहीं है इसलिये बतौर नजरसानी व्यक्तिगत फैसले को अपने इजलास में ले इन्साफ फरमाने की कृपा फरमावें
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इसकी सूचना श्रीमान् शतावधानीजी महाराज पूज्य श्रीअमोलकऋषिजीमहाराज, पूज्य श्रीमणिलालजी महाराज साहब के पास भी नजर की गइ है सो आप जिस जगह शामिल होना मुनासिब समज उसकी सूचना हरएक को बक्षा दी जावे । संवत १९९० मिगसर शुक्ला १२
पं. प्रवर श्री घासीलालजी महाराज के इस उत्तर का कोई प्रत्युत्तर आचार्य श्री जवाहरलालजी की ओर से नहीं मिला । दोनों गुरु शिष्यों को एक करने का कुछ श्रावकों ने समय समय पर प्रयत्न भी किया किन्तु उनका संतोष जनक समाधान न हो सका । दोनों के बीच का तनाव उग्र होता गया । अन्ततः दोनों गुरु शिष्य सदा के लिए अलग हो गये ।
सेमल का चातुर्मास बडे प्रभाव के साथ समाप्त हुआ । और आपने अन्यत्र विहार कर दिया मारवाड की और विहार और जैन दिवाकर जी म. का मिलन
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