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वि० सं १९९० का सेमल का
र्ग कर महाराज श्री अपनी शिष्य मण्डलीके साथ मेवाडके छोटे बड़े सभी क्षेत्रों को पावन कर हुये अजमेर की ओर पधार रहे थे । मार्ग में राजाजी के करेडे पधारना हुवा ! वहां जैन दिवाकर प्रसिद्ध वक्ता पं. मुनिश्री चौथमलजी महाराज: अपने शिष्य समुदाय के साथ पधारे । पं. मुनिश्री तथा जैन दिवाकरजी म. दोनों दो दिन तक साथ में बिराजे । साथ ही में व्याख्यान हुआ । परस्पर सौजन्य व्यवहार-स्नेह खूब अच्छा रहा । वहां से विहार कर छोटे बडे गांवों को फरस्ते आसीन-पडासोली होते हुए दाणियाके रामपुरे पधारे । तपस्वी मदनलालजो म. का सम्यक्त्व ग्रहण ___ रामपुरा पधारने से स्थानीय संघ पूज्य श्री की सेवा में रत हो गया । यहां आसकरणजी बाफना बडे ही धार्मिक प्रकृति के सज्जन रहते थे । खेतो और दुकानदारी से अपनी न्याय पूर्ण आजीविका चलाते थे । इनकी धर्मपत्नी का नाम था श्रीमतो भूरी बाई । यह अत्यन्त सेवानिष्ठ और धार्मिक वृत्ति की सन्नारी थी। गांव में इन्हें अच्छी प्रतिष्ठा प्राप्त थी । श्रीमान् आसकरणजी साहब के तोन पुत्र हुए । जिनमें सब से बडे पुत्र फत्तेलालजो द्वितीय पुत्र मांगीलालजी और तृतीय पुत्र मिश्रीलालजी ।
श्रीमान् आसकरजी बाफना अपनी युवावस्था में ही काल कवलित होगये । पिताजी के स्वर्गवास से साराभार बडे पुत्र श्री फत्तेलालजी पर आ पड़ा । श्रीमान् फतेलालजी साहब बडी योग्यता और न्याय पूर्ण ढंग से अपने समस्त परिवार का भरण पोषण करने लगे।
पूज्य श्री के पदार्पण से यह सारा परिवार पूज्य श्री के परिचय में आया । आसकरणजी साहब के दूसरे नंबर के पुत्र श्रीमांगीलालजी पूज्य श्री के दर्शन के लिये आये और पूज्य श्री की प्रभावपूर्ण वाणी को सुनकर उनसे गुरु आम्नाय ग्रहण करली । श्रीमांगीलालजी ने सन्तों से नमुक्कार मन्त्र सीख लिया और कुछ प्रारंभिक नियम भी ग्रहण कर लिये । साथ साथ हृदय रूप मन्दिर में पूज्य गुरुदेव की तस्वीर लगादी और श्रद्धा से उनका ध्यान करने लगे ।
___ पूज्य श्री ने अपनी शिष्य मण्डली के साथ दूसरे दिन अजमेर की ओर विहार कर दिया । मसूदा नसीराबाद,छावनी होकर किशनगढ मदनगंज पधारे । यहाँ पंजाब केशरी पूज्य श्री काशीरामजी महाराज उपाध्याय श्री पं. श्री आत्मारामजी महाराज पं मदनलालजी म. कविश्री अमरचंदजी म. आदि सन्तों का मिलन हुआ । हमारे चरितनायकजी की विद्वता और पाण्डित्य पूर्ण प्रवचन शैली से बडे प्रभावित हुए । बडे सौहार्द पूर्ण वातावरण में विचारों का आदान प्रदान हुआ । कुछ दिन किशनगढ बिराजकर आपने अपनी मुनिमण्डली के साथ अजमेर की ओर विहार किया । अजमेर पधारने पर स्थानीय संघ ने आपका भव्य स्वागत किया । अजमेर श्रीसंघ के अत्याग्रह से यहां मासकल्प तक बिराजे । स्थान स्थान पर आपके जाहिर प्रवचन हुवे । हजारों लोगों ने प्रवचनों का लाभ उठाया । यहां जब आप बिरााजित थे तब विहार प्रान्त में महाप्रलयकारी भूकम्प हुआ था । लाखों लोग बे घरबार हो गये थे । इस भूकम्प का असर ठेठ अजमेर तक हुआ था । अजमेर जैसे विशाल नगर में भूकम्प के कारण केवल एक मकान क्षतिग्रस्त हो गया । सारा शहर सही सलामत था । इसे लोगों ने महाराज श्री के चारित्र का प्रभाव माना । ____ पुष्कर, गोविन्दगढ मेढास केकिन, भंवाल, मेडता आदि गांवों को पावन करते हुए आप वैशाख मास में कुचेरा पधारे । तब वहां फसल बुआई हो वैसी वर्षा हो गई मुनिश्री के पधारने से ऐसी वर्षा वैशाखमास में हो जाने से जैन अजैन लोगों में मुनिश्री के प्रति असीम श्रद्धा बढी । अक्षयतृतीया के दिन महाराज श्री का जाहिर व्याख्यान हुआ । गांव के सैकड़ों लोगों ने आपका प्रवचन सुनकर अपने को
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