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________________ २४५ पूज्यश्री की घोषणा का प्रत्युत्तर श्रीमान पूज्यश्री १००८ श्री जवाहिरलालजी महाराज के शिष्य घासीलालजी महाराज तथा मुनि मनोहरलालजी महाराज तपस्वी श्री सुन्दरलालजी महाराज ने आपकी सेवामें अर्जकराने के लिए मुझको (मनोहरसिंह) फरमाया उस माफिक आपकी सेवामें अर्ज है कि अजमेर में श्री जैन कोन्फरन्स से जो प्रस्ताव पास हुए वो हमको मंजूर है सिर्फ व्यक्तिगत फैसला जो हुआ है उसमें हमको शंका होने से यह प्रस्ताव हम को मंजूर नहीं । इस व्यक्तिगत फैसले के बारे में हमने श्रीमान् श्री श्री १००८ श्री श्री पूज्यवर गुरूवर श्री जवाहिरलालजी महाराज की सेवामें अर्ज कि कि इस फैसले में हमको गणेशीलालजी के लिए मूलदोष का समाधान करना है, व चेलों की कलम के बारे में भी कई सन्तों को उजर है । इसलिये आप इस फैसले की तामिल में किसी बात की जल्दी नहीं करें और धीरप से कुछ सन्त मुख्य मुख्य इधर के कुछ सन्त मुख्य मुख्य पूज्यश्री मन्नालालजी महाराज की तरफ के चुने जाकर उनकी राय से काम किया जाय तो में व समाज में हर तरह की शान्ति रहेगी। मगर पूज्यवर गुरूदेव ने इस तरफ कोई विचार ही नहीं फरमाया । इस फैसले की तामील जल्दि होने में धर्म में हानी पहुँचने व समाज व साधुओं में अशान्ति फैलने के कारण दूसरे मर्तबा पूज्यवर को सेवामें अर्ज कराई के आप आचार्य और हमारे गुरु हैं । साधुओं और संध में हर प्रकार की शान्ति रहे ऐसा विचार आप फरमावे तो अच्छा होगा । उस पर हो गुरुवर की तरफ से कोई ठोक विचार की सूचना नहीं मिलने से हमको बहुत खेद हुआ और लाचार होकर पूज्यवर की सेवामें इस ख्याल से आज्ञा नहों मंगवाने का विचार प्रकट किया कि इस पर भी पूज्यवर कुछ विचार फरमालेंगे मगर इसका नतीजा यह हुवा के पूज्यवर का विचार फरमाना तो दूर रहा मगर एकदम से आज्ञा बाहिर की घोषणा फरमा दी खेर, ___ अब आपकी सेवामें अर्ज है कि हमारो नीचे लिखी अर्ज पर ध्यान फरमाकर आप इस व्यक्तिगत सले पर दबारा बतोर नजरसानी गौर फरमा कर इन्साफ बक्षावे ताकि सब तरह से शान्ति बनी रहे (१) गणेशीलालजो को युवाचार्य की जो पदवी देते हैं पर वो मूल दोष से दूषित हैं, यह बात वक्त फैसला आपके सामने जाहिर आनी जरूरी थी मगर जाहिर नहीं हुई हमने सुना है इस वक्त आपका बिराजना किसनगढ है। इसलिए हमलोग आपकी सेवामें हाजिर होते हैं । हाजिर होने पर सब बात आपकी सेवामें अरज की जावेगी सो जबतक हमलोग आपके पास हाजिर न हो जावे तबतक आप कही पधारने की कृपा नहीं करावें । मूल दोष की जो बात आपके सामने हमलोग जाहिर करें उस पर आप विचार करे कि गणेशीलालजी को युवाचार्य बना व पूज्य पछेवडी जो फागन सुद १५ पहले ओढ़ाने की राय कायम हुई है वो ठीक है या किस तरह आपको अच्छी तरह मालुम हो जावेगो (२) साथ ही विनयपूर्वक यह भी अर्ज है कि गुरूवर पूज्य श्री श्री १००८ श्री श्री जवाहिरलालजी महाराज पूज्य पछेवडी ओढाने की बहुत ही जल्द फरमा रहे हैं और हमलोग यह चाहते कि जब तक आप ईस मूल दोष का निर्णय न करलें तबतक पूज्य पछेवडी नहीं ओढाने बावत कान्फरन्स में ईतला फरमा देवे ताकि वहाँ से अखबार में इसकी सूचना निकल जावे जिससे पूज्यवर अपनी ताकीद आगे नहीं बढा सके ईसपर भी आप जल्दी से गोर फरमा लेवे । (३) कॉन्फरन्स का कायदा अभी तक हमारे पास नहीं आया है । क्योंकि ईस साल हम लोगों का चौमासा ऐसे ग्राम में हुवा था कि हरएक बात की सूचना वक्त पर नहीं मिल सकती थी । हमको सुननेमें आया है कि कॉन्फरस की कलम नं. १४ में यह बात रखी गई है कि आचार्य जिस साधु को आज्ञा फैसले पर दुबारा ब Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003976
Book TitleGhasilalji Maharaj ka Jivan Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRupendra Kumar
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1975
Total Pages480
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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