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________________ २१२ रुचि रखने लगे थे । वे अपने धर्म के रहे-सहे थोडे ज्ञान से भी विमुख होते जा रहे थे । प. रत्न महाराजश्री कन्हैयालालजी म० ने इधर पधार कर जैन जनता में धर्म के नवीन प्राण फंके । उन्हें धर्म का प्रतिबोध दिया । लोगों की विचलित श्रद्धा को दृढ बनाया । लोगों को मुखवास्त्रिता बन्धवा कर उन्हें स्थानक वासी धर्म से परिचित किया । महाराष्ट्र प्रान्त में विचरते हुए आपने वि-सं-२०१९ का चातुर्मास नंदरबार में किया । यह चातुर्मास नंदरबार के इतिहास में एक अभूतपूर्व था । यहां आप श्री के उपदेश से खूब धर्मोद्योत हुआ । चातुर्मास समाप्ति के बाद आपश्री ने महाराष्ट्र में ही विहार किया । अनेक ग्राम व नगर को पावन करते हुए आप मध्यप्रदेश पधारे । यहाँ खेतिया नामक ग्राम में वि-सं-२०२० का चातुमास किया । इसके बाद वि.सं-२०२१ को आप फीर खानदेश पधारे और अमलनेर चातुर्मास किया । यह चातुर्मास भी उपकार की दृष्टि से अभूतपूर्व रहा । बडी बडी तपस्याए हुई । अहिंसा के अनेक कार्य हुए । अमलनेर की जनता आज भी आपको बडी श्रद्धा से स्मरण करती है । चातुर्मास की समाप्ति के बाद आपने महाराष्ट्र को ही अपना विहार क्षेत्र चुना । महाराष्ट्र के विशाल प्रांगन में अपने पुण्य प्रवचन से छोटे बडे क्षेत्रों को पावन करने लगे । विहार काल में अनेक धार्मिक कार्य हुए। आप जिस किसी क्षेत्रों में विचरे वहां अपने उत्कृष्ट ज्ञान चारित्र से लोगों को खूब प्रभावित किया । ___ महाराष्ट्र में लासलगांव एक प्राचीन एवं व्यापार का मुख्य क्षेत्र है । करीब यहां ओसवालों के १०० घर है । यहां को जनता की धार्मिक भावना अत्यन्त सराहनीय है । शिक्षा के अच्छे प्रेमी है । यहाँ महावीर जैन विद्यालय चलता है। जिसमें प्राथमिक शिक्षण मन्दिर महावीर हायस्कूल, एवं वसतीगृह बोडिंग आदि विविध विभाग है । जब आप महाराष्ट्र में विचर रहे थे तब आपके प्रभाव से आकर्शित होकर श्री संघ अनेक बार विनंति को आये, अत्यन्त आग्र के बाद धुलिया शहर में लासलगांव के चतुर्मास की विनंति मंजूर हुई । अनेक गाँवों को पावन करते हुये चातुर्मास के लिए विहार करते हुए लासलगांव शहर में पधारे । आपके आगमन से स्थानीय जनता का खूब धार्मिक उत्साह बढा । आपके प्रतिदिन धार्मिक राष्ट्रीय सामाजिक प्रवचन होते थे । प्रवचन में केवल जैन समाज ही नहीं किन्तु अजैन समाज भी बड़ी संख्या में उपस्थित होतो थी । लासलगांव में आपश्री ने इस बार-प्रथमहि आगमन किया था। अतएव वहां की जनता आपकी मधुर अमृतमय वाणी को सुनने के लिए लालायित थी । व्याख्यान के समय वे लोग अपना समस्त कारोबार बन्द रखते थे । ता०६- ७-६५ को गांव के बाहर अशोक आइल मील में पदार्पण हुआ। इसी दिन आपका जाहिर प्रवचन हआ जिसमें लासलगांव की हजारों जैन अजैन जनता ने भाग लिया। ता० . प्रातः मनिजी ने गांव में प्रवेश किया। और उस दिन शहर में सर्वे प्राणिमात्र के हितार्थ विश्वशांति के जाप हुये। नगर की सभी स्कूल और हाइस्कूल के हजारों विद्याथियों ने एवं नगर की जनता ने शान्ति धून के साथ प्रभात फेरी की। सर्व धर्मीय सामुदायिक ईश प्रार्थना और जाहिर प्रवचन आदि आदि सार्वजनिक कार्यक्रम ने जातास अराधना का सुन्दर शिलारोपण किया । मुनिजी की प्रेरणा से उस दिन नगर के समस्त कारोबार दुकानें आफिसें, स्कूल, गिरणिया मीले, होटल, सिनेमागृह और यहां तक की ताँगे और बैलगाड़ियां आदि सभी प्रकार के व्यवसाय एवं सावद्य प्रवृत्तियां संपूर्ण रूप से बन्द कर जनता ने अहिंसा दिन मनाया। उस दिन का कार्यक्रम इतना भव्व था कि आज भी जनता उस दिन को नहीं भूलती । इतना ही नहीं पानी की बून्द बून्द के लिए तरस ने वाले उस प्रदेश पर मेघ राज ने अपार कृपा की । उस दिन इतनी वर्षा हुई कि सारा प्रदेश जलमय हो गया । मुनि श्री की ॐ शान्ति की प्रार्थना का प्रत्यक्ष चम. कार जनता को मिल गया । फलस्वरूप लासलगांव की जनता महाराज श्री की परम भक्त बन गई । Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003976
Book TitleGhasilalji Maharaj ka Jivan Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRupendra Kumar
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1975
Total Pages480
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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