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इतनो कह कर महाराजा खडे हो गये और जमीन पर सारे शरीर को पैला कर उन्होंने साष्टांग प्रणाम किया । और कहा- “ आप मेरे गुरु हैं । प्रणाम कर वे बाहर आये जहां करीब आठ दश हजार की संख्या में जनता महाराजा के स्वागत की प्रतीक्षा कर रही थी। महाराजा को देखते ही कोल्हापुर महाराजा की जय हो । गुरु महाराज पं. श्री घासीलालजी महाराज की जय हो।,, इस प्रकार हजारों व्यक्ति जयघोष की ध्वनि से आकाश को गुन्जायमान करने लगे । ____ उपस्थित जन समूह को सम्बोधित करते हुए कोल्हापुर महाराजा ने कहा मैं आज तक किसी को गुरु नहीं मानता था और न नमस्कार हि करता था, किन्तु गुरु महाराज श्री घासीलालजी महाराज के व्यक्तित्व से एवं उनके आचार विचार से बडा प्रभावित हुआ हूँ । आध्यात्मीक जीवन के तीन अङ्ग है-अनासक्ति, संयम और त्याग, साधक इन तीन धर्मो की साधना मनसा, वाचा कर्मणा से करता है, उनको मैं अध्यात्मीक पुरुष मानता हूँ । ऐसे ही गुरु समाज और राष्ट्र का कल्याण करतें हैं । गुरु महाराज भी अपने युग के एक ऐसे ही अद्भुत अध्यात्म योगी हैं । इनके दिव्य जीवन का दिव्य संदेश जन जन के जीवन को सुवासित करे यही मेरी अभिलाषा है । हम सब इस अध्यात्म योगी के प्रति श्रद्धाञ्जलि समर्पित कर उनके मार्ग पर चलने का प्रयत्न करेंगे ।,, यह कह कर महाराजा अपनी कार में बैठ गये । और जनता का अभिवादन स्वीकार कर वे कोल्हापुर की ओर चल दिये।
कोल्हापुर नरेश की कुलदेवी अम्बिका देवी है । देवी को भी वे मस्तक झुकाकर ही देवी का अभिवादन करते थे । यह इस राज्य घराने की पराम्परा है । कोल्हापुर नरेश को विनय पूर्वक नतमस्तक दो पचांग झुकाकर महाराजश्री को नमन करते देख एवं महाराजश्री के प्रति प्रशंसा के उद्गार सुनकर जनता आश्चर्य चकित थी। लोगों के मुख से शब्द निकल रहे थे कि महाराज श्री ने राजा साहब पर आश्चर्य जनक जादू कर दिया है।
महाराजा की आज्ञा होते ही अंग्रेज डांक्टर वेल जो वहां के असिस्टट सर्जन थे उसने ऑपरेशन का समय बदल दिया । दूसरे दिन दिनके दो बजे ऑपरेशन करने का तय किया । __ऑपरेशन-कक्ष में प्रारंभिक तैयारी यां करलेने के बाद डॉक्टर ने महाराज श्री को ऑपरेशन कक्ष में पधारने की सूचना दी । इधर ऑपरेशन के आध घंटे पूर्व ही महाराज श्री ने अपने साथी मुनि के समक्ष आलोचना की और सागारी संथारा लेकर वे ऑपरेशन कक्ष में पधार गये । आँपरेशन-कक्ष के भीतर एक मुनि एवं एक दो प्रमुख श्रावक के सिवाय अन्य सवें को बाहर जाने का आदेश मिला ! सब बाहर आकर महाराज श्री के सफल ऑपरेशन की कामना करने लगे । ठीक दो बजे ऑपरेशन प्रारंभ हुआ। महाराज श्री स्टेज पर सो गये। डॉक्टर क्लारोफॉमें सूंघाना प्रारंभ किया। उस समय महाराज श्री श्वास खोंच कर प्राणायाम को प्रक्रिया में लग गये । करीब १५ मिनीट तक डॉक्टर महाराज श्रीको मर्जी लाने का प्रयोग करते रहे परन्तु महाराज श्री की सचेत अवस्था देखकर डॉक्टर विचार में पर गये कि महाराज श्री को क्लॉरोफामे का असर क्यों नहीं हो रहा है । डॉक्टर ने जब जांच की तो पता लगा कि महाराज श्री ने श्वास लेना बन्द किया है । डॉक्टर ने सूचना की कि आप स्वाभाविक रूप से उवासोच्छवास लें । डॉक्टर के कहने पर महाराज श्री ने प्राणायाम की प्रक्रिया बन्द की और वे स्वाभाविक रूप से श्वास लेने लगे । क्लारोफार्म का असर हुआ और महाराज श्री मूर्छित हो गये । ऑपरेशन के समय सतारा वाले सेठश्री मोतीलालजी साहब उपस्थित थे । ऑपरेशन कक्ष में किसी भी नर्स को महा राज श्री के शरीर को छुने नहीं दिया गया । मुनि मर्यादा के अनुकूल सभी नियमों का पालन करने को लगाया गया । करीब एक घंटा ऑपरेशन चला, नौ इंच गहरा और दस इंच चोडा इतने भाग पर नस्तर
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