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पर अच्छा उपकार हुआ। चरितनायकजी ने इस चातुर्मास में संस्कृत भाषा का गहराई के साथ अध्ययन किया । रघुवंश, मेघदूत, भट्टीकाव्य का भी अध्ययन किया ।
जुन्नेर का चातुर्मास समाप्त कर आप गुरुवर्य के साथ मंछर पधारे । मंछर से खेड चिंचवड आदि क्षेत्रों को स्पर्श कर महाराष्ट्र का प्रसिद्ध स्थल पूना पधारे पुना महाराष्ट्र का प्रसिद्ध विद्या केन्द्र है ? यहां के प्रसिद्ध विद्वानों के साथ आपका मिलन हुआ और विविध विषय के विद्वानों के साथ विचारों का आदान प्रदान हुआ। पूना कुछ दिन बिराजकर आप अपने गुरुदेव के साथ पुनः चिंचवड पधारे । चिंचवड में वक्तावरमलजी पोरवाड ने अत्यन्त वैराग्यभाव से पूज्य गुरुदेव के समीप दीक्षा ग्रहण की । चिंचवड से विहार करके आप गुरुदेव के साथ मंछर नारायणगांव, बोरी आदि क्षेत्रों को पावन करते हुए घोडनदी पधारे । वि. सं. १९७० का बारहवाँ चातुर्मास घोडनदीमें .
घोडनदी स्थानवासी समाज का एक मुख्य प्रसिद्ध स्थल है। पंडित रत्न श्री जवाहरलालजी महाराज पंडित श्री घासीलालजी महाराज आदि नौ सन्तों ने यहां चातुर्मास किया । इस चातुर्मास में आपने अपना संस्कृत भाषा का अध्ययन चालू ही रखा । सतत अध्ययन से आपने संस्कृत भाषा पर अच्छा प्रभुत्व जमा लिया । आप संस्कृत भाषा में बडी शीघ्रता से नये लोकों की रचना कर लेते थे।
चातुर्मास की समाप्ति के बाद आपने गुरुदेव के साथ जामगांव, अहमदनगर बाम्बोरी, राहुरी सोनाई आदि क्षेत्रों में धर्मप्रचार करते हुए जामगांव पधारे । वि. सं. १९७१ का तेरहवाँ चातुर्मास जामगांव में ।
महाराष्ट्र के अनेक क्षेत्रों को पावन करते हुए वि. सं. १९७१ का चातुर्मास आपने गुरुदेव के साथ जामगांव में किया । जामगांव भी एक ऐतिहासिक स्थल है । देशभक्त सेनापति बापट का निवास स्थल है। गांव छोटा होते हुए भी श्रावकों की भक्ति बहुत अच्छी है। हमारे चरितनायक ने इस छोटे से गांव में रह कर अपने अध्ययन को विशाल बनाया । इस चातुर्मास में मुनि श्री मोतीलालजी महाराज ने ३४ दिन की तपस्या की । पूर के दिन अनेक शुभ कार्य हुए । इस चातुर्मास में पूज्य श्री श्रीलालजी महाराज ने पं. मुनिश्री जवाहरलालजो महाराज को गणिपद से विभूषित किया । इस प्रकार जामगांव का चातुर्मास पूर्ण कर आपने गुरुदेव के साथ अन्यत्र विहार कर दिया । महाराष्ट्र के अनेक क्षेत्रों को पावन करते हुए चातुर्मासार्थ अहमदनगर पधारे । वि. सं. १९७२ का चौदहवाँ चातुर्मास अहमदनगर में
इस चातुर्मास में कलियुगी भीम प्रोफेसर राममूर्ति पहलवान ने अपनी कंम्पनी के साथ पं. श्री जवाहर लालजी महाराज का उपदेश सुना । पंडितमुनि श्री के प्रभावपूर्ण उपदेश से राममूर्ति बडे प्रभावित हुए । हमारे चरितनायकजी को भी प्रोफेसर राममूति से बातचीत का अवसर मिला । और उनके जीवन की अनेक महत्वपूर्ण घटना से आप परिचित हुए । अहमदनगर का चातुर्मास समाप्त कर आपने गुरुदेय के साथ अन्तत्र विहार कर दिया । महाराष्ट्र के विविध क्षेत्रों को पावन करते हुए आप गुरुदेव के साथ घोडनदी पधारे । घोडनदी से पुनः अहमदनगर में पधारना हुआ लोकमान्यतिलक ने पंडित प्रवर श्रीजघाहरलालजी महाराज के एवं हमारे चरितनायक पंडित श्री घासीलालजी महाराज आदि मुनिवरों के दर्शन किये । अहमदनगर में शेषकाल विराजकर चातुर्मासार्थ घोडनदी की ओर विहार किया । .. वि. सं १९७३ का पंदरहवां चातुर्मास घोडनदी में
महाराष्ट्र के विविध क्षेत्रों को स्पर्शते हुए आप गुरुदेव के साथ चातुर्मासार्थ घोडनदी पधारे । आपका यह संयमी जीवन का १५ वाँ चातुर्मास था । चातुर्मास प्रारंभ होने के कुछ ही दिनों के बाद
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