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________________ (6) जेम्स लुण्डी की अवधारणा – इनके अनुसार, “प्रबन्धन मुख्य रूप से विशिष्ट उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए प्रयत्नों का नियोजन (Planning), क्रियान्वयन (Implementation) और नियन्त्रण (Controlling) करने का कार्य है।"125 यह ध्यान देना आवश्यक है कि जैनआचारमीमांसा पर आधारित जीवन-प्रबन्धन में भी ये तीनों कार्य निहित हैं। प्रबन्धन की आधुनिक अवधारणा की स्पष्टता के लिए प्रबन्धन की अन्य प्रमुख परिभाषाओं को जानना भी आवश्यक है, जो इस प्रकार हैं - 1) स्टेनले वेंस के मत में, "प्रबन्धन का आशय निर्णय लेने तथा मानवीय क्रियाओं पर नियन्त्रण की प्रक्रिया से है, जिससे पूर्व निर्धारित लक्ष्यों को आसानी से प्राप्त किया जा सके।"126 2) न्यूमैन एवं समर की दृष्टि में, __ “प्रबन्धन एक सामाजिक प्रक्रिया है। यह एक प्रक्रिया इसीलिए है, क्योंकि यह एक कार्य-शृंखला (A Series of actions) है, जो उद्देश्य की प्राप्ति कराती है। यह सिर्फ एक प्रक्रिया ही नहीं, वरन् एक सामाजिक प्रक्रिया भी है, क्योंकि प्रबन्धन के द्वारा निष्पादित किए जाने वाले कार्य मुख्यतया मानवीय सम्बन्धों पर आधारित होते हैं।"127 3) टेरी के अनुसार, “नियोजन करने, संगठन करने, प्रोत्साहन देने और नियन्त्रण करने की वह प्रक्रिया, जिसमें मानव और अन्य संसाधनों के माध्यम से सामूहिक लक्ष्य का निर्धारण तथा सामूहिक लक्ष्य की प्राप्ति हो सके, प्रबन्धन कहलाती है।"128 4) आर.सी. डेविस की दृष्टि में, “प्रबन्धन एक कार्यकारी नेतृत्व प्रदान करने की प्रक्रिया है।"129 5) इ. एफ. एल. ब्रेच का आशय है, “प्रबन्धन का सम्बन्ध किसी उद्यम में होने वाले कार्य की पूर्णता से है, जिसके लिए प्रबन्धन का प्रयास प्रक्रियाओं के नियोजन एवं मार्गदर्शन पर केन्द्रित होता है।"130 6) पीटर एफ. ड्रकर का कहना है, ____ "प्रबन्धन एक बहु-उद्देशीय अंग है, जो उद्यम को प्रबन्धित करता है, प्रबन्धकों को प्रबन्धित करता है और कार्यकर्ता एवं कार्य को प्रबन्धित करता है।"131 7) कण्ट्ज और ओ'डोनेल के अनुसार, “किसी भी उद्यम में, प्रबन्धन अंतरंग परिवेश की वह रचना और स्थिरीकरण है, जिसमें 32 जीवन-प्रबन्धन के तत्त्व 32 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003975
Book TitleJain Achar Mimansa me Jivan Prabandhan ke Tattva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManishsagar
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2013
Total Pages900
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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