________________
★ धर्म आज एक व्यवसाय बन गया है, क्योंकि धर्म के नाम पर वैयक्तिक स्वार्थों की साधना ही प्रमुख हो गई है।
★ वर्त्तमान में धर्म मूलतः परम्परागत कर्मकाण्ड तक सीमित हो गया है, इसका आध्यात्मिक पक्ष गौण हो गया है।
★ धर्म आज स्वर्ग के प्रलोभन और नरक के भय पर टिका हुआ है, जिसे आधुनिक समाज ढकोसला मान रहा है और धर्म के तात्कालिक लाभों को नहीं समझ कर धर्म - विमुख हो रहा है ।
अतः प्रबन्धन-पद्धति को अपनाकर हमें धार्मिक व्यवहारों को सुधारने के लिए निम्न प्रयत्न करने
होंगे
★ धर्म को भौतिक सम्पन्नता एवं समृद्धि की दृष्टि से नहीं, अपितु नैतिक विकास के लिए अपनाना होगा ।
★ धर्म को कर्मकाण्ड के अन्धानुकरण से बचाकर आध्यात्मिक बनाना होगा ।
★ धर्म को स्वर्ग के प्रलोभन और नरक के भय से मुक्त कर उसके तात्कालिक लाभों को समझना होगा ।
★ धर्म जो केवल विश्वास के आधार पर टिका है, उसे विज्ञान के आधार पर खड़ा करना होगा।
जब तक हम धर्म की उपयोगिता और उसके महत्त्व का सम्यक् मूल्यांकन नहीं करेंगे, तब तक हम धर्म का सम्यक् प्रयोग भी नहीं कर सकेंगे। अतः यह जानना होगा कि धर्म का जीवन में क्या महत्त्व एवं स्थान है ?
655
Jain Education International
अध्याय 12: धार्मिक-व्यवहार- प्रबन्धन
For Personal & Private Use Only
3
www.jainelibrary.org