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________________ सन्दर्भसूची 1 जैनभारती (पत्रिका), मई, 2003, पृ. 45-47 2 डॉ.सागरमलजैन से चर्चा के आधार पर 3 यूनीफाइड समाजशास्त्र (बी.ए.1), रवीन्द्रनाथ मुकर्जी, पृ. 53 4 वही, पृ. 53 5 व्यवहारभाष्य, 1677 6 व्यवहारसूत्र सटीक, उद्देश्य 3 (अभिधानराजेन्द्रकोष, 7/77 से उद्धृत) 7 नन्दीसूत्र, 19 8 समाज और संस्कृति, उपा.अमरमुनि, पृ. 233 9 वही, पृ. 238 10 प्रो.पी.सी. करोड़े से चर्चा के आधार पर 11 यूनीफाइड समाजशास्त्र (बी.ए.1), रवीन्द्रनाथ मुकर्जी, पृ. 59 12 विशेषावश्यकभाष्य, 1032 13 Ethical Studies, F. Bradly, p. 160 14 यूनीफाइड समाजशास्त्र (बी.ए.1), रवीन्द्रनाथ मुकर्जी, पृ. 126-127 15 सामाजिक विघटन तथा पुनर्गठन, सरला दुबे, पृ. 13 16 वही, पृ. 13 17 यूनीफाइड समाजशास्त्र (बी.ए.1), रवीन्द्रनाथ मुकर्जी, पृ. 127 18 सामाजिक विघटन तथा पुनर्गठन, सरला दुबे, पृ. 16-17 19 वही, पृ. 15 20 यूनीफाइड सोशियोलॉजी, प्रो.डी.एस. बघेल, पृ. 45 21 वही, पृ. 45 22 समाजदर्शन की भूमिका, डॉ.राज्यश्री अग्रवाल, पृ. 18 23 वही, पृ. 68 24 वही, पृ. 68 25 वही, पृ. 68 26 परिवार में रहने की कला, डॉ.भीकमचन्द प्रजापति, पृ. 10 27 समाजदर्शन की भूमिका, डॉ.राज्यश्री अग्रवाल, पृ. 69-70 28 वही, पृ. 128 29 स्थानांगसूत्र, पृ. 1/2 30 समाजदर्शन की भूमिका, डॉ.राज्यश्री अग्रवाल, पृ. 129 31 वही, पृ. 126 32 वही, पृ. 129-132 33 स्थानांगसूत्र, 2/1/109 34 वही, 4/3/430 35 वही, 4/4/605 36 समाजदर्शन की भूमिका, डॉ.राज्यश्री अग्रवाल, पृ. 104 37 वही, पृ. 93 38 सामाजिक विघटन तथा पुनर्गठन, सरला दुबे, पृ. 122-126 39 वही, पृ. 135-136 40 जैनभारती (पत्रिका), दिसंबर, 2005, पृ. 29 41 सामाजिक विघटन तथा पुनर्गठन, सरला दुबे, पृ. 296–301 42 वही, पृ. 259-261 43 वही, पृ. 256 44 वही, पृ. 79 45 एक्का मणुस्सजाइ - आचारांगनियुक्ति, पृ. 19 46 उत्तराध्ययनसूत्र, 25/33 47 सामाजिक विघटन तथा पुनर्गठन, सरला दुबे, पृ. 97-98 48 समाजदर्शन की भूमिका, डॉ.राज्यश्री अग्रवाल, पृ. 129 49 श्रीमद्देवचन्द्र, विहरमान बीसी, 12/6 50 जैनआचार, देवेन्द्रमुनि, पृ. 276 51 योगशास्त्र, 3/16 52 सामाजिक विघटन तथा पुनर्गठन, सरला दुबे, पृ. 93 53 वही, पृ. 82 54 तत्त्वार्थसूत्र, 5/29 55 वही, 5/21 56 समाजदर्शन की भूमिका, डॉ.राज्यश्री अग्रवाल, पृ. 183 57 प्रबोधटीका, 3/13/4, पृ. 685 58 नंदीसूत्र, 4-11 59 प्रबोधटीका, 3/2 60 व्यवहारभाष्य, 1681 61 आनंदस्वाध्यायसंग्रह, बृहत्शांतिस्तोत्र, पृ. 34-38 62 जैन, बौद्ध और गीता, डॉ.सागरमलजैन, 2/155 63 दर्शनप्राभृत, 2 64 वही, 21 65 सूत्रप्राभृत, 5 66 जैन, बौद्ध और गीता, डॉ.सागरमलजैन, 2/157 67 सामायिकपाठ, अमितगति, 1 68 पद्मविजय, चौबीसी, 1 69 जैन, बौद्ध और गीता, डॉ.सागरमलजैन, 2/223-234 527 अध्याय 9: समाज-प्रबन्धन 37 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003975
Book TitleJain Achar Mimansa me Jivan Prabandhan ke Tattva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManishsagar
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2013
Total Pages900
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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