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104 श्रीमदाजचन्द्र, पत्रांक 376, पृ. 339-340
70 आनन्दघन चौबीसी, 22/1 71 प्रबोधटीका, 1/292 72 श्रीमद्देवचन्द्र, स्नात्रपूजा 73 वीरजिनस्तुति (जैन, बौद्ध और गीता, डॉ.सागरमलजैन,
2/162-163 से उदधृत) 74 प्रश्नव्याकरणसूत्र, 2/1/भूमिका 1,2 75 वही, 2/1/2 76 संघाचारभाष्य, 1 अधि. 1 प्रस्ता.
(अभिधानराजेन्द्रकोष, 5/697 से उद्धृत) 77 वही, (वही, 5/697 से उद्धृत) 78 जैन, बौद्ध और गीता, डॉ.सागरमलजैन, 2/164-165 79 वही, पृ. 165 80 स्थानांगसूत्र, 10/135 81 उत्तराध्ययनसूत्र, 4/8 82 दशवैकालिकसूत्र, 9/2/23 83 मरणसमाधि, 147 (प्राकृतसूक्तिकोश, महो.चन्द्रप्रभसागर,
पृ. 119 से उद्धृत) 84 आवश्यकनियुक्ति, 1156 85 इत्थी जूयं मज्जं, मिगव्व वयणे तहा फरुसया य।
दंडफरुसत्तमत्थस्स दूसणं सत्त वसणाई।।
- समणसुत्तं, 303 86 आचारांगसूत्र, 1/2/5/10 87 नई दुनिया (समाचार पत्र), 18/1/2004, रविवारीय, पृ. 8 88 बृहत्कल्पभाष्य, 1320 89 योगशास्त्र, 1/47-56
(जैनआचार, देवेन्द्रमुनि, पृ. 236-262 से उद्धृत) 90 उपासकदशांगसूत्र, 1/22 91 बृहत्कल्पभाष्य, 4584 92 आयओ बहिया पास - आचारांगसूत्र, 1/3/3 93 शान्तसुधारस, 13/5 94 प्रबोधटीका, 3/62-63 95 श्रीमद्देवचन्द्र, सत्त्वभावना, 2 96 प्रबोधटीका, 2/124 97 आचारांगसूत्र, 1/3/4/4 98 सूत्रकृतांगसूत्र, 1/9/3 99 व्यवहारभाष्य, पीठिका, 76 100 निशीथभाष्य, 273 101 बृहत्कल्पभाष्य, 1357 102 स्थानांगसूत्र, 6/1 103 आनन्दघन चौबीसी, 5/3
जीवन-प्रबन्धन के तत्त्व
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