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168 आनंदस्वाध्यायसंग्रह, श्रीपुण्यप्रकाशस्तवन, पृ. 76
198 दवग्गिदाणं दवाग्नेर्वनाग्ने:-दाणं वितरणं क्षेत्रादि शोधनं 169 दशवैकालिकसूत्र, 6/30
निमित्तं दावाग्नि दानमिति 170 वही, 4/5
- वही (वही, पृ. 141 से उद्धृत)। 171 जीव-अजीव तत्त्व, कन्हैयालाल लोढ़ा, पृ. 21
199 तत्त्वार्थसूत्र, 7/16 - 172 उत्तराध्ययनसूत्र : दार्शनिक अनुशीलन, सा.डॉ.विनीतप्रज्ञाश्री, 200 उपासकदशांग और उसका श्रावकाचार, पृ. 594
सुभाष कोठारी, पृ. 146 173 आचारांगसूत्र, 1/1/3/6
201 वाउचित्त मंतमक्खाया अणेगजीवा पुढोसत्ता अन्नत्थ सत्थ 174 दशवैकालिकसूत्र, 8/6
परिणएणं - दशवैकालिकसूत्र, 4/7 175 डॉ.सागरमलजैन अभिनन्दनग्रन्थ, पृ. 576
202 जीव-अजीव तत्त्व, कन्हैयालाल लोढा, पृ. 32 176 वही, पृ. 576
203 आचारांगसूत्र, 1/1/7/2 177 तत्त्वार्थसूत्र, 7/16
204 पहू एजस्स दुगुंछणाए आयंकदंसी. ... जीविउ. .... । 178 उपासकदशांगसूत्र, 1/27
- वही, 1/1/7/1 179 वही, 1/26
205 से बेमि संति संपाइमा पाणा ...... उद्दायति ... । 180 वही, 1/41
- आचारांगसूत्र, 1/1/7/5 181 वही, 1/42
206 दशवैकालिकसूत्र, 6/39 182 वही, 1/29
207 वही, 6/36 183 वही, 1/21
208 तं परिण्णाय मेहावी .......... त्तिबेमि ....। 184 वही, 1/51, पृ. 47
-आचारांगसूत्र, 1/1/7/5 185 सरोहृदतडाग परिशोषणता ........... एतेषां शोषणं
209 डॉ.सागरमलजैन अभिनन्दनग्रन्थ, पृ. 577 गोधूमादीनां वपनार्थम्
210 उपासकदशांगसूत्र, 1/32 - उपासकदशांगसूत्रटीका, अभयदेवसूरि (उपासकदशांग 211 वही, 1/29 और उसका श्रावकाचार, सुभाष कोठारी, पृ. 144 से 212 डॉ.सागरमलजैन अभिनन्दनग्रन्थ, पृ. 577 उद्धृत)।
213 वणस्सई चित्त मंतमक्खाया अणेगजीवा पुढोसत्ता अन्नत्थ 186 तेउ चित्तमंतमक्खाया अणेग जीवा पुढोसत्ता अन्नत्थ सत्थ
सत्थ परिणएणं - दशवैकालिकसूत्र, 4/8 परिणएणं - दशवैकालिकसूत्र, 4/6
214 जीव-अजीव तत्त्व, कन्हैयालाल लोढ़ा, ...पृ. 42 187 वही, 6/35
215 से बेमि इमपि जाइधम्मय ...... विपरिणामधम्मयं 188 से बेमि संति पाणा पुढविणिस्सिया .......... ते तत्थ उद्दायंति - आचारांगसूत्र 1/1/5/8 - आचारांगसूत्र, 1/1/4/7
216 वणस्सई विहिसंतो हिंसई उ तयस्सिए। 189 दशवैकालिकसूत्र, 6/34
तसे य विविहे पाणे चक्खुसे य अचक्खुसे।। 190 वही, 6/32
- दशवैकालिकसूत्र, 6/41 191 वही, 6/32
217 वही, 6/42 192 वही, 6/34
218 वही, 6/40 193 वही, 6/35
219 डॉ.सागरमलजैन अभिनन्दनग्रन्थ, पृ. 577 194 तं परिण्णाय मेहावी........ त्ति बेमि
220 वनकर्म च वनस्पति छेदन पूर्वकंत द्विक्रय जीवनम् - आचारांगसूत्र, 1/1/4/8
- उपासकदशांगसूत्रटीका, अभयदेवसूरि (उपासकदशांग 195 उपासकदशांगसूत्र, 1/51, पृ. 47
और उसका श्रावकाचार, सुभाष कोठारी, पृ. 137 से 196 वनकर्म च वनस्पति छेदन पूर्वकंत द्विक्रय जीवनम्
उद्धृत)। - उपासकदशांगसूत्रटीका, अभयदेवसूरि (उपासकदशांग 221 दवग्गिदाणं दवाग्नेर्वनाग्ने:-दाणं वितरणं क्षेत्रादि शोधनं और उसका श्रावकाचार, सुभाष कोठारी, पृ. 137 से
निमित्तं दावाग्नि दानमिति उद्धृत)।
- वही (वही, पृ. 141 से उद्धृत) 197 रसवाणिज्ये सुरादि विक्रय - उपासकदशांगसूत्रटीका, 222 तत्त्वार्थसूत्र, 7/16 अभयदेवसूरि (वही, पृ. 139 से उद्धृत)
223 दशवैकालिकसूत्र, 4/9. जीवन-प्रबन्धन के तत्त्व
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