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(17) ब्रह्मचर्य-प्रबन्धन
1) वेश्या, कॉलगर्ल , पराई-स्त्री के साथ अनैतिक सम्बन्धों का पूर्ण निषेध करना। 2) अश्लील चित्र, चलचित्र, साहित्य, कुसंगति आदि का त्याग करना। 3) स्वदारासन्तोष करना एवं नववाड़ों का पालन करना। 4) पर्व तिथि में, तीर्थयात्रा आदि धार्मिक कार्यों में एवं मासिक-धर्म के समय ब्रह्मचर्य का पूर्ण
पालन करना। 5) पूर्ण ब्रह्मचर्य से रहना।
इस प्रकार, उपर्युक्त मॉडल को आधार बनाकर शरीर-प्रबन्धन की प्रक्रिया को चरण-दर-चरण आगे बढ़ाया जा सकता है। इससे जीवन-लक्ष्य की प्राप्ति हेतु शरीर एक उपयोगी साधन सिद्ध हो सकता है।
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जीवन-प्रबन्धन के तत्त्व
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