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54 वाचनाप्रच्छनानुप्रेक्षाम्नायधर्मोपदेशाः
तइयाए निद्दमोक्खं तु चउत्थी भुज्जो वि सज्झायं ।। - तत्त्वार्थसूत्र, 9/25
- उत्तराध्ययनसूत्र, 26/12, 18 55 Management : Task, Responsibilities & Practices, 74 वही, आत्मारामजी महाराज, 1/31 Peter F. Drucker, p.114
75 प्रवचनसार, 1/7 56 व्यक्तिगत चर्चा के आधार पर
76 जैन, बौद्ध और गीता, डॉ.सागरमलजैन, 1/163 57 जहा सूई ससुत्ता पडिया वि न विणस्सइ। 77 साइंस ऑफ टाईम मैनेजमेंट, राधारमण अग्रवाल,
तहा जीवे ससुत्ते संसारे न विणस्सइ ।। खं, 3, पृ. 119 - उत्तराध्ययनसूत्र, 29/60
78 नयामानव नयाविश्व, आ.महाप्रज्ञ, पृ. 88 58 (क) स्वामी विवेकानन्द, विनोद, पृ. 40
79 दशवैकालिकसूत्र, 5/1/124, 125 (ख) वीर पुत्रियाँ, प्राणनाथ वानप्रस्थी, पृ. 29
80 श्रीमद्राजचन्द्र, पत्रांक 2, पृ. 4 (ग) सरदार भगतसिंह, प्राणनाथ वानप्रस्थी, पृ. 11
81 एगे अहमंसि; न मे अस्थि कोइ, न याहमवि कस्स वि - (घ) चन्द्रशेखर आजाद, प्राणनाथ वानप्रस्थी, पृ. 9
आचारांगसूत्र, 1/8/6/1 (ड) सुभाषचंद्र बोस, प्राणनाथ वानप्रस्थी, पृ. 4
82 परस्परोपग्रहो जीवानाम् – तत्त्वार्थसूत्र, 5/21 (च) श्रीमद्राजचन्द्र, अनुवादक का नम्रनिवेदन, पृ. 19
83 उप्पन्नं नाइहीलेज्जा - दशवैकालिकसूत्र, 5/1/130 59 चत्तारि परमंगाणि, दुल्लहाणीह जन्तणो। 84 कल्पसूत्र, आनन्दसागरसूरिजी, सातवीं वाचना, पृ. 386 ___माणुसत्तं सुई सद्धा, संजमम्मि य वीरियं ।। 85 बृहत्कल्पभाष्य, 4584 - उत्तराध्ययनसूत्र, 3/1
86 नयामानव नयाविश्व, आ.महाप्रज्ञ, पृ. 99 60 साइंस ऑफ टाईम मैनेजमेंट, राधारमण अग्रवाल,
87 वही, पृ. 98 खं. 4, पृ. 167
88 धर्मबिन्दु, 1/4-58 61 वही, पृ. 143
89 मानादिक शत्रु महा, निज छंदे न मराय। 62 श्रीमद्राजचन्द्र, पत्रांक 2, पृ. 6
जाता सद्गुरु शरणमा, अल्प प्रयासे जाय।। 63 अमोलसूक्तिरत्नाकर, कल्याणऋषि, 28/2
- श्रीमद्राजचन्द्र, पत्रांक 718, आत्मसिद्धि 18, 64 साइंस ऑफ टाईम मैनेजमेंट, राधारमण अग्रवाल,
पृ. 542 खं.4, पृ. 165
90 उत्तराध्ययनसूत्र, 26/9 65 धर्मबिन्दु, 1/52
91 ज्ञाताधर्मकथा, अ.7 66 जो पुव्वरत्तावरत्त काले, संपेहए अप्पगमप्पएणं।
92 जह मक्कडओ खणमवि मज्झत्थो अच्छिउं न सक्केइ। किं में कडं, किं च में किच्चसेसं, किं सक्कणिज्जं न
तह खणमवि मज्झत्थो, विसएहिं विणा न होइ मणो।। समायरामि? - दशवैकालिकचूलिका, 2/12
- भक्तपरिज्ञा, 84 67 जागर्ति को वा? सदसद्विवेकी
93 नयामानव नयाविश्व, आ.महाप्रज्ञ, पृ. 176 - अमोलसूक्तिरत्नाकर, कल्याणऋषि, 20/3
94 अलं कुसलस्स पमाएणं - आचारांगसूत्र, 1/2/4/3 68 कल्पसूत्र, आ.आनन्दसागरजी म. सा., सातवीं वाँचना, पृ. 95 डॉ.सागरमलजैन अभिनन्दनग्रन्थ, पृ. 63 400-401
96 घोरा मुहुत्ता अबलं सरीरं, भारंडपक्खी व चरेऽप्पमत्तो 69 साइंस ऑफ टाईम मैनेजमेंट, राधारमण अग्रवाल,
- उत्तराध्ययनसूत्र, 4/6 खं.4, पृ. 151
97 श्रीमद्देवचंद्र, वर्तमान चौबीसी, 9/6 70 न सव्व सव्वत्थमिरोयएज्जा
98 साइंस ऑफ टाईम मैनेजमेंट, राधारमण अग्रवाल, - उत्तराध्ययनसूत्र, 21/15
खं. 4, पृ. 201 71 साइंस ऑफ टाईम मैनेजमेंट, राधारमण अग्रवाल
99 उत्तराध्ययनसूत्र, 1/31 खं. 3, पृ. 117
100 दशवैकालिकसूत्र, मुनि नथमल, 5/2/4/8-9 72 वीरप्रभु के वचन, 1, रमणलाल ची. शाह, अ. 1, पृ. 1
___101 साइंस ऑफ टाईम मैनेजमेंट, राधारमण अग्रवाल, 73 पढमं पोरिसिं सज्झायं बीयं झाणं झियायई। खं. 3, पृ. 110
तइयाए भिक्खायरियं पुणो चउत्थीए सज्झायं।। 102 मुक्तिवैभव, त्रिशलादेवी कोठारी, पृ. 252 पढम पोरिसिं सज्झायं बीयं झाणं झियायई।
जीवन-प्रबन्धन के तत्त्व
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