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________________ सन्दर्भसूची 1 स्व-प्रबन्धन में जीवनविज्ञान (एम.ए. पुस्तक), पृ. 145 2 नयामानव नयाविश्व, आ. महाप्रज्ञ, पृ. 83 3 स्व-प्रबन्धन में जीवनविज्ञान (एम.ए. पुस्तक), पृ. 151. 4 पलियंत मणुआण जीवियं सूत्रकृतांगसूत्र 1/2/1/10 अच्चए । 5 दुमपत्तए पंडुयए जहा निवडइ राइगणाण एवं मणुयाण जीवियं समयं गोयम! मा पमायए ।। उत्तराध्ययनसूत्र, 10/1 6 नदि-ग्रहि पचादिभ्यो मुणिन्यचः 7 पंचास्तिकाय, 3 8 समयसार, पृ. 2 9 तिलोयपण्णत्ति 4/ 288 10 वही, 4 / 285 11 वही, 4 / 287 12 समय आपकी मुट्ठी में, डॉ. विजय अग्रवाल, पृ. 19 13 जैनधर्म जीवनधर्म, कर्नल दलपत सिंह बया, पृ. 213 14 साइंस ऑफ टाईम मैनेजमेंट, राधारमण अग्रवाल, अष्टाध्यायी महर्षिपाणिनी 3/1/134 खं. 1, पृ. 5 15 वही, खं. 1, पृ. 9 16 जं जारिस पुव्यमकासि कम्मं तमेव आगच्छति संपराए सूत्रकृतांगसूत्र, 1/5/2/23 17 साइंस ऑफ टाईम मैनेजमेंट, राधारमण अग्रवाल, ख. 1, पृ. 10 18 वओ अच्चेति जोव्वणं च - आचारांगसूत्र, 1/2/1/4 19 जीवनपाथेय, साध्वीयुगलनिधीकृपा, पृ. 111 से उद्धृत 20 समय आपकी मुट्ठी में, डॉ.विजय अग्रवाल, पृ. 20 21 णो हूवणमंति राइयो, नो सुलभं पुणरावि जीवियं सूत्रकृतांगसूत्र 1/2/1/1 22 साइंस ऑफ टाईम मैनेजमेंट, राधारमण अग्रवाल, खं. 1, पृ. 8 23 जहा जुन्नाई कट्ठाई हव्ववाहो पमत्थइ एवं अत्तसमाहिए अणि आचारांग 1/4/3/2 24 वर्त्तना परिणामः क्रिया परत्वापरत्वे च कालस्य - • तत्त्वार्थसूत्र, 5 / 22 25 साइंस ऑफ टाईम मैनेजमेंट, राधारमण अग्रवाल, खं. 1, पृ. 5 26 अणभिक्कत च वयं संपेहाए, खणं जाणाहि पंडिए । आचारांगसूत्र, 1/2/1/8,9 — 223 - Jain Education International 27 कुसग्गे जह ओसबिंदुए, थोवं चिट्ठइ एवं मणुयाण जीवियं समयं गोयम! मा उत्तराध्ययनसूत्र 10/2 28 साइंस ऑफ टाईम मैनेजमेंट, राधारमण अग्रवाल, खं. 2, पृ. 36 29 वही, खं. 1, पृ. 11 30 वही, पृ. 7 31 वही, पृ. 5 32 जीवन की मुस्कान (द्वितीय महापुष्प), डॉ. प्रियदर्शनाश्री, पृ. 30 33 उत्तराध्ययनसूत्र, 1/31 34 प्रेक्षाध्यान (पत्रिका), जनवरी, 2007, पृ. 4 35 तिण्णो हु सि अण्णवं महं किं पुण चिह्नसि तीरमागओ? अभितुर पारं गमित्तए, समयं गोयम ! मा पमायए ।। - उत्तराध्ययनसूत्र, 10/34 36 आचारांगसूत्र 1/3/3/6 37 उत्तराध्ययनसूत्र, 9 / 35 38 साइंस ऑफ टाईम मैनेजमेंट, राधारमण अग्रवाल, खं. 2, पृ. 33 39 काले कालं समायरे उत्तराध्ययनसूत्र 1/31 40 कल्पसूत्र, आ.आनंदसागरजी म.सा., छठी वाँचना, पृ. 347-348 41 वही सातवीं बाँचना, पृ. 397 42 वही, पाँचवीं वाँचना, पृ. 242 43 वही, पाँचवीं वाँचना, पृ. 257-258 44 साइंस ऑफ टाईम मैनेजमेंट, राधारमण अग्रवाल, खं. 2, पृ. 31 45 जं अण्णाणी कम्मं खवेदि भवसय तं वाणी तिहिं गुत्तो, खवेदि प्रवचनसार, 238 सेणे जह वट्टयं हरे, एवं सूत्रकृतांगसूत्र 1/2/1/2 46 - - 47 इणमेव खणं वियाणिया । लंबमाणए । पमायए ।। खं. 2, पृ. 77 52 आवश्यकनिर्युक्ति 1156 53 उत्तराध्ययनसूत्र, 10/1 अध्याय 4: समय-प्रबन्धन वही, 1/2/3/19 48 जीवन की मुस्कान (द्वितीय महापुष्प), डॉ. प्रियदर्शनाश्री, पृ. 29 49 समय आपकी मुट्ठी में, डॉ विजय अग्रवाल, पृ. 200 50 वीरप्रभु के वचन, रमणलाल ची. शाह, 1/1/1 51 साइंस ऑफ टाईम मैनेजमेंट, राधारमण अग्रवाल, For Personal & Private Use Only सहस्स– कोडीहिं । उस्साय मेलेणं ।। आउखयम्मि तुती । 41 www.jainelibrary.org
SR No.003975
Book TitleJain Achar Mimansa me Jivan Prabandhan ke Tattva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManishsagar
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2013
Total Pages900
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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