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________________ इस प्रकार यशोविजयजी की अद्भुत ग्रन्थरचना शक्ति, स्मरण शक्ति, धारणाशक्ति, कवित्वशक्ति और तर्कशक्ति आदि को देखकर जैन समाज ने उन्हें तार्किकशिरोमणि, लघुहरिभद्रसूरि, द्वितीय हेमचन्द्र, योगविशारद, सत्यगवेषक, समयविचारक, कुर्चालीशारद, महान समन्वयकारक, प्रखर नैयायिक, वादिमानभंजक, शुद्धाचार–क्रियापालक आदि अनेक विरूदों से अलंकृत किया है।43 उनके समान नामधारक वर्तमान कालिक मुनि यशोविजयजी लिखते हैं कि -"अन्तिम वर्ष तक साहित्यसर्जन, शासनसेवा और धर्मरक्षा के लिए श्वास लेने वाले इस वीर पुरूष ने हमारे समक्ष सेवा, समर्पण और पुरूषार्थ का आदर्श उदाहरण प्रस्तुत किया है।"44 जिनशासन की गोद में अनेक बुद्धिमान पुरूषों ने जन्म लिया है, परन्तु नव्यसर्जक, क्रान्तिकारी और कर्तव्यपरायण यशोविजयजी के जैसे तो विरले ही होते -000---- । 43 "द्रव्यगुणपर्यायनोरास' भाग-1 की प्रस्तावना, लेखक धीरजलाल डायालाल महेता, पृ. 25 " श्री यशोविजयजी, श्री यशोविजयजी स्मृति ग्रंथ (उपाध्याय यशोविजयजी स्वाध्याय ग्रंथ से उद्धृत, पृ. 254) Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003974
Book TitleDravya Gun Paryay no Ras Ek Darshanik Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPriyasnehanjanashreeji
PublisherPriyasnehanjanashreeji
Publication Year2012
Total Pages551
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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