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2. कम्मपयडीबृहट्टीका :
प्राकृत भाषा की पद्यात्मक शैली में रचित मूल ग्रन्थ कम्मपयडी के कर्ता श्री शिवशर्मसूरीश्वरजी है। इस कम्मपयडी पर उपाध्यायजी ने 13000 श्लोक परिमाण गद्यशैली में न्याय की परिभाषाओं से युक्त कठिन टीका लिखी है ।
3. कम्मपयडी लघुटीका :
यह जैनकर्म सिद्धान्त का मूल ग्रन्थ कम्मपयडी पर रचित यशोविजयजी की अधूरी कृति है । इस टीका का प्रारम्भिकपत्र मात्र उपलब्ध हुआ है ।
4. तत्त्वार्थवृत्ति
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सर्वमान्य दार्शनिक उमास्वातिजी द्वारा संस्कृत भाषा में प्रणीत 'तत्त्वार्थसूत्र' पर यशोविजयजी ने एक टीका लिखी थी, जिसकी मात्र प्रथम अध्याय की टीका ही मिली है।
5. धर्मसंग्रह टिप्पण :
उपाध्याय यशोविजयजी के समकालीन मानविजयजी द्वारा प्रणीत 'धर्मसंग्रह' ग्रन्थ पर पूज्य उपाध्यायजी ने टिप्पण लिखे ।
6. उत्पादादिसिद्धि :–
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चन्द्रसूरिकृत ‘उत्पादादिसिद्धि' ग्रन्थ में जैनदर्शन के अनुसार सत् के उत्पादव्यय-ध्रौव्यात्मक' लक्षण पर विशेष विवेचन किया गया है। इस पर यशोविजयजी ने एक टीका लिखी थी जो पूर्ण रूप से उपलब्ध नहीं है ।
7. पातंजलयोगसूत्रवृत्ति
पतंजलिऋषि के योगसूत्र के सूत्रों पर जैनदृष्टि से विवेचन और समीक्षा की
गई है।
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