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26. विजयप्रभसूरिस्वाध्याय :
इसमें गच्छनायक विजयप्रभसूरिजी की स्तुति की गई है।
27. विषयतावाद :
इस ग्रन्थ में विषयता, उद्देश्यता, उपाद्यता आदि का प्रतिपादन है।
28. सिद्धसहस्त्रनाम कोश :
परमात्मा के 1008 नामों का संग्रह इस ग्रन्थ में किया गया है।
29. स्याद्वादरहस्य :
खंभात नगर के पण्डितों के लिए प्रेषित पत्रों का संग्रह है जिसमें स्याद्वाद की समर्थक युक्तियों का प्रतिपादन है। 30. स्तोत्रावली :
स्तोत्रावली में ऋषभदेव, पार्श्वनाथ और महावीरस्वामी के आठ स्तोत्रों का संग्रह है।
उपाध्याय यशोविजयजीकृत टीकाग्रन्थ - 1. अष्टसहस्त्रीतात्पर्यविवरण :
इस विवरण का मूल ग्रन्थ दिगम्बराचार्य समंतभद्र रचित 'आप्तमीमांसा' है। इस आप्तमीमांसा ग्रन्थ पर अकलंक ने भाष्य लिखा था और उस पर विद्यानंदी ने अष्टसहस्त्री नामक टीका की रचना की। इस टीका पर यशोविजयजी ने 8000 श्लोक परिमाण विवरण लिखकर अनेक दार्शनिक विषयों पर विशद चर्चा की है।
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