SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 507
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 487 लक्षण भेद : द्रव्य-गुण-पर्याय का भिन्न-भिन्न लक्षण होने से भी इनमें परस्पर भेद परिलक्षित होता है। द्रव्य का लक्षण द्रवण है। गुण का लक्षण गुणन है और पर्याय का लक्षण परिगमन-सर्वतोव्यप्ति है।1420 द्रवण अर्थात् एक रूप से दूसरे रूप में रूपान्तरण होना अथवा भिन्न-भिन्न अवस्थाओं (पर्यायों) को प्राप्त करना है। यह द्रव्य का लक्षण है। गुणन से तात्पर्य भिन्नीकरण करना अथवा पृथक्करण करना है। एक वस्तु का दूसरी वस्तु से अलग करना गुण का लक्षण है। जैसे जीवद्रव्य का ज्ञानगुण उसे अन्य पुद्गलादि द्रव्यों से पृथक् करता है। रूपादिगुण पुद्गलद्रव्य को अन्य जीवादि द्रव्यों से अलग करते हैं। परिगमन का अर्थ है विवक्षित द्रव्य का सर्वतः एक रूप से दूसरे रूप में व्याप्त हो जाना या रूपान्तरण होना है। यह पर्याय का लक्षण है। जैसे किसी जीव का मनुष्य रूप से मरकर देवरूप होना पर्याय है। क्योंकि यह रूपान्तर संपूर्ण जीवद्रव्य का होता है। इस प्रकार लक्षण के आधार पर भी द्रव्य और गुण-पर्याय में भेद है। इस प्रकार आधारआधेयता, इन्द्रियगोचरता, एकअनेकता, संज्ञा, संख्या, लक्षण आदि की अपेक्षा से द्रव्य ओर गुण–पर्याय में परस्पर भेद है। क्योंकि परस्पर व्यावृति धर्म परस्पर का भेद करता है। 1421 द्रव्य में जो आधारता आदि धर्म है वे गुण-पर्याय में नहीं है। परन्तु यह भेद भी नैयायिक, वैशेषिक और सांख्य की तरह एकान्तभेद नहीं होकर सापेक्ष या कथंचित् भेद है। 1420 लक्षणथी भेद-द्रवण-अनेकपर्यायगमन द्रव्यलक्षण, गुणन-एकथी अन्यनइं भिन्नकरण ते गण लक्षण, परिगमन-सर्वतोव्याप्ति, ते पर्याय लक्षण ............. - द्रव्यगुणपर्यायनोरास, गा. 2/16 का टब्बा 1421 जे माटिं परस्परावृतिधर्म परस्परमांहि भेद जणावई .................. - द्रव्यगुणपर्यायनोरास, गा. 2/14 का टब्बा Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003974
Book TitleDravya Gun Paryay no Ras Ek Darshanik Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPriyasnehanjanashreeji
PublisherPriyasnehanjanashreeji
Publication Year2012
Total Pages551
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy