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आदि क्रियाओं को करता हुआ प्रत्यक्ष दिखाई देता है।1407 इसलिए एक दूसरे घट से कथंचित् भिन्न और कथंचित् अभिन्न दोनों हैं। भिन्न-भिन्न परमाणुओं से निर्मित होने के कारण कथंचित् भिन्न है और समान जाति के पदार्थ होने के कारण कथंचित् अभिन्न है। ___उपाध्याय यशोविजयजी ने ऊर्ध्वतासामान्य और तिर्यक्सामान्य में निहित अन्तर को स्पष्ट किया है। जिस सामान्य में देशभेद (क्षेत्रभेद) से भिन्नताकिन्तु आकार की अपेक्षा से एकाकार की प्रतीति होती है, वह तिर्यकसामान्य है और जिस सामान्य में कालभेद से अनुगत आकार की प्रतीति होती है, वह ऊर्ध्वतासामान्य है। 402 तिर्यक्सामान्य विभिन्न क्षेत्र में रहे हुए समकालीन हजारों घटों में एक समान आकारों की प्रतीति कराता है, जबकि ऊर्ध्वतासामान्य कालक्रम से होनेवाली एक मृद्रव्य की पिंड-स्थास-कोश-कुशूल-घट-कपाल आदि भिन्न-भिन्न पर्यायों में मृद्रव्य के अन्वय की प्रतीति कराता है।
सामान्य
तिर्यक्सामान्य एकाकारप्रतीति
ऊर्ध्वतासामान्य
अनुगताकारप्रतीति एक ही द्रव्य की कालक्रम से
होनेवाली अनेक पर्यायों में उपर-उपर सामान्यपने की दृष्टि
भिन्न-भिन्न द्रव्यों से निर्मित एक
आकार
1401 द्रव्यगुणपर्यायनोरास, भाग-1, -धीरजलाल डाह्यालाल महेता, पृ. 59 1402 देशभेदइं जिहां एकाकार प्रतीति उपजइ, तिहां तिर्यकसामान्य कहिइ जिहां काल भेदई अनुगताकार प्रतीति उपजइ तिहां ऊर्ध्वतासामान्य कहिइं .... द्रव्यगुणपर्यायनोरास, गा. 2/5 का टब्बा
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