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का सर्वप्रथमबार दर्शन किया था। ऐसा विवरण प्राप्त होता है । अतः यह अनुमान लगाया जा सकता है कि यशोविजयजी के माता-पिता कनोडा के रहवासी थे और यहीं यशोविजयजी का जन्म हुआ होगा और आपका बचपन भी यहीं व्यतीत हुआ होगा ।
जन्मकाल
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'सुजसवेलीभास' में यशोविजयजी का जन्म वर्ष निश्चित रूप से नहीं दिया गया है । परन्तु दीक्षा वर्ष सं. 1688 दिया गया है ।' यशोविजयजी बच्चपन में दीक्षित होकर बालमुनि बने थे। इस बात की पुष्टि तो सुजसवेलीभास से होती है । यथा "लघुता पण बुद्धि आगलोजी नामे कुंवर जयवंत' इस पंक्ति से ज्ञात होता है कि दीक्षा के समय इनकी उम्र कम से कम 8 वर्ष या 9 वर्ष होनी चाहिए। इस आधार पर इनका जन्म सं. 1679-80 में होना चाहिए। इनका कालधर्म सं. 1743-44 में डभोई में हुआ था। इस तथ्य के आधार पर यशोविजयजी का पूर्ण आयुष्य 64-65 वर्ष का होना चाहिए ।
यशोविजयजी के जन्मवर्ष से अवगत होने के लिए हमारे पास दूसरा आधार ऐतिहासिक चित्रपट है । इस चित्रपट की पुष्पिका के अनुसार नयविजयजी ने आचार्य विजयसेनसूरि के कणसागर नामक गांव में रहकर सं. 1663 में अपने शिष्य जयविजयजी (यशोविजयजी) के लिए इस चित्रपट का आलेखन किया । पुष्पिका के अनुसार कल्याणविजयजी के शिष्य नयविजयजी उस समय पन्यास पद पर थे और यशोविजयजी को भी उसमें गणि बताया गया है।
अब ऐतिहासिक चित्रपटानुसार सं. 1663 में यशोविजयजी गणि थे । सामान्य रूप से गणि पदवी दीक्षा के कम से कम पांच से दस वर्ष पश्चात् दी जाती है। अतः
' संवत सोल अठयासियेजी, रही कुणगेर चौमासी श्री नयविजय पंडित वरजी, आव्या कन्होडे उल्लासी मात पुत्र स्युं साधुनाजी, वांदिचरण सविलास सुगुरू- धर्म - उपदेशथीजी पामी वयराग प्रकाश
" विजयदेव गुरू हाथनीजी बड दीक्षा हुई खास बिहुने सोल अठयासियेजी, करता योग अभ्यास
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सुजसवेलीभास, गा. 1 / 9,10
सुजसवेली भास, गा. 1 / 13
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