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________________ 475 108 मनकों को एक सूत्र में पिरोकर बनाई गई वस्तु को माला कहा जाता है। उसके एक-एक मनके को मोती कहा जाता है। उस मोती में निहित उज्ज्वलता, कोमलता, वर्तुलाकार आदि उसके गुण (धर्म) हैं। माला, मोती और उज्ज्वलादिगुण भिन्न-भिन्न हैं। यदि तीनों एक और अभिन्न होते तो एक-एक मोती को माला कहना चाहिए। अनेक मनकों के एक सूत्रबद्ध विशिष्ट स्वरूप को ही माला के नाम से अभिहित किया जाता है। एतदर्थ मोती से माला कथंचित् भिन्न है। उज्ज्वलता आदि धर्म है और माला धर्मी है। इन दोनों के मध्य आधार-आधेय सम्बन्ध है। उज्जवलता आदि गुण अनंत है जबकि माला एक है। इसलिए उज्जवलता आदि गुणों से भी माला भिन्न है। माला-मोती-उज्ज्वलता आदि की तरह ही द्रव्य-गुण-पर्याय भी परस्पर कथंचित् भिन्न है। द्रव्यात्मक शक्ति विशिष्ट गुण एवं पर्यायों से कथंचित् भिन्न है।1389 मृतिका द्रव्य है, पिंड-स्थास-कोश आदि विभिन्न अवस्थाएं उसकी पर्याय है। श्यामवर्ण आदि उसके गुण है। स्थास-कोश आदि पर्यायों का नाश होने पर भी मृतिकाद्रव्य का नाश नहीं होता है। अतः मृदद्रव्य स्थास आदि पर्यायों से भिन्न है। इसी प्रकार श्याम वर्ण आदि गुण आधेय है और मृद्रव्य उसका आधार है। इस आधार-आधेय सम्बन्ध के कारण मृद्रव्य श्यामवर्ण आदि से भिन्न है। जिस प्रकार मोती की माला, मोती और उज्जवलता आदि से कथंचित् भिन्न है उसी प्रकार द्रव्य (सत्ता) अपने गुण एवं पर्यायों से कथंचिद् भिन्न होती है।390 द्रव्य सामान्य है और गुण एवं पर्याय विशेष है। पिंड-स्थास आदि पर्याय और श्यामवर्ण आदि गुण मृद्रव्य से पृथक्-पृथक् आकाश प्रदेशों में दिखाई नहीं देते हैं। जहां मृद्रव्य है वहां ही स्थास आदि पर्यायें तथा श्यामत्व आदि वर्ण दिखाई देते हैं। जैसे मोती की माला, मोती और उज्जवलता एकप्रदेशावगाही है उसी प्रकार द्रव्य अपने 1389 जिम मोती उज्जवलतादिरूपथी, मोतीमाला अलगी रे। गुण-पर्यायव्यक्तिथी जाणो, द्रव्यशक्ति तिम अलगी रे ।। - द्रव्यगुणपर्यायनोरास, गा. 2/3 1390 जिम-मोतीनी माला, मोती थकी तथा उज्जवलतादिक धर्मथी अलगी छइंतिम द्रव्यशक्ति गुण पर्याय व्यक्तिथी अलगी छइ - वही गा. 2/3 का टब्बा Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003974
Book TitleDravya Gun Paryay no Ras Ek Darshanik Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPriyasnehanjanashreeji
PublisherPriyasnehanjanashreeji
Publication Year2012
Total Pages551
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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