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________________ 464 यद्यपि गुण और पर्याय में वास्तविक भेद नहीं है, तथापि भेददृष्टि की कल्पना के आधार पर द्रव्य-गुण-पर्याय ऐसा अलग-अलग व्यवहार किया जाता है। जैसे 'तेल की धारा गिरती है' ऐसा षष्ठ्यन्त शब्द जोड़कर भेददृष्टि से व्यवहार किया जाता है। परन्तु तेल और तेल की धारा में वास्तविक भेद नहीं होता है। तेल स्वयं ही धारा रूप होकर गिरता है। उसी प्रकार घट का जो रूप पहले कृष्ण था वही रूप अग्नि में तपकर रक्त बनता है। आत्मा का जो ज्ञानगुण पहले मतिरूप था, वही श्रुतरूप, अवधिरूप बनता है। अतः परमार्थ की दृष्टि से रूप आदि गुण में और उसके कृष्ण, रक्त आदि पर्यायों में तथा ज्ञानादि गुण और उसके मति, श्रुत आदि पर्यायों में कोई भेद नहीं है। परन्तु रूपादि, ज्ञानादि अपने-अपने द्रव्यों में सदा रहने से गुण कहे जाते हैं। जबकि कृष्ण, रक्त, मति, श्रुत आदि बदलते रहने से पर्याय कहलाते हैं। इस प्रकार द्रव्य के एक ही धर्म को सहभावी की अपेक्षा से गुण और क्रमभावी की अपेक्षा से पर्याय कहकर उपचार से भेद किया जाता है। परन्तु गुण और पर्याय में वास्तविक अथवा पारमार्थिक भेद नहीं है।1359 इस संसार में छह द्रव्य हैं। प्रतिसमय द्रव्य का परिवर्तन अथवा रूपान्तरण होना अथवा नवीन-नवीन स्वरूप में बदलना पर्याय है। द्रव्य और पर्याय ये दो ही तत्त्व हैं। द्रव्य बदलता नहीं है। वह द्रव्यस्वरूप से सदा ध्रुव ही रहता है। फिर प्रश्न उठता है कि परिवर्तन किसका होता है ? जबाब में कहा जाता है कि गुणों का परिवर्तन होता है। इस प्रकार गुण और गुणों का परिवर्तन ये दो भिन्न-भिन्न पदार्थ नहीं है। परन्तु गुण और गुणों के परिवर्तन (पर्याय) में षष्ठी विभक्ति लगाकर उपचार से भेद किया जाता है। यदि संसार में द्रव्य और पर्याय से भिन्न तीसरा 'गुण' नामक कोई वास्तविक पदार्थ होता तो सर्वज्ञ वीतराग भगवंतो द्वारा उपदिष्ठ आगमों में द्रव्यार्थिकनय और 1359 तिम सहभावी-क्रमभावी कहीनइं गुणपर्याय भिन्न कही देखाडया, पणि परमार्थइं भिन्न नथी' इम जेहनो भेद उपचरित छई, ते शक्ति किम कहिइं ..................-द्रव्यगुणपर्यायनोरास, गा. 2/11 का टब्बा Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003974
Book TitleDravya Gun Paryay no Ras Ek Darshanik Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPriyasnehanjanashreeji
PublisherPriyasnehanjanashreeji
Publication Year2012
Total Pages551
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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