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________________ 462 रूपान्तरण–परिवर्तन गुणपर्याय है।1353 जिस प्रकार जीवद्रव्य के नर, नारक, आदि पर्यायें द्रव्यपर्याय हैं, उसी प्रकार एक परमाणु में दो, तीन इत्यादि अनेक परमाणु मिलकर स्कन्धरूप होना भी पुद्गलद्रव्य की द्रव्य पर्याय है।किन्तु मतिज्ञान, श्रुतज्ञान आदि ज्ञानगुण की पर्याय है। रक्त, पीत आदि रूप गुण की पर्याय हैं।1954 इसी प्रकार सुरभि, दुरभि आदि गन्ध गुण की, मधुर, लवण आदि रस गुण की, कर्कश, स्निग्ध आदि स्पर्श गुण की पर्याय हैं। श्री कुंदकुंदाचार्य विरचित 'प्रवचनसार' नामक ग्रन्थ के ज्ञेयतत्त्वाधिकार के 13वी गाथा और उस पर अमृतचंद्राचार्यकृत टीका में निम्नानुसार द्रव्यपर्याय और गुणपर्याय का विवेचन उपलब्ध होता है। 1355 ___पदार्थ द्रव्यमय होता है और द्रव्य गुणमय होता है। द्रव्य और गुण दोनों की पर्याय होती है। द्रव्यपर्याय के समानजातीय और असमानजातीय के रूप में दो भेद हैं। द्वयणुक-त्र्यणुक आदि स्कन्ध मात्र पुद्गल द्रव्यजन्य होने से समानजातीय पर्याय हैं। जीव और पुद्गल मिलकर बने नर-नारकादि पर्याय असमानजातीय पर्याय है। इसी प्रकार गुण पर्याय के भी स्वभाव और विभाव रूप दो भेद हैं। द्रव्य के अगुरूलघुगुण की षट्गुण हानि-वृद्धि से उत्पन्न होनेवाली पर्यायें स्वभावगुण पर्याय हैं। ज्ञानादि और रूपादि गुणों की तरतमता से उत्पन्न होनेवाली पर्यायें विभावगुणपर्याय हैं। उपाध्याय यशोविजयजी के अनुसार आगम में गुणपर्याय को पर्याय से भिन्न तत्त्व के रूप में प्रतिपादित नहीं किया गया है। इसलिए पर्याय के दो भेद करके गुण को भी द्रव्य की तरह पर्यायों को प्राप्त करने वाली शक्ति के रूप में व्याख्यायित करना निर्दोषमार्ग नहीं है। वस्तुतः गुणपर्याय से भिन्न तत्त्व नहीं है जिससे उसे द्रव्य 1353 कोईक दिगम्बरानुसारी-शक्तिरूप गुण भाषइ छइ, जे माटइं-ते इम कहइ छइ. जे "जिम द्रव्यपर्यायनु कारण द्रव्य, तिम गुणपर्यायर्नु कारण गुण, द्रव्यपर्याय द्रव्यनो अन्यथाभाव, ... गुणपर्याय = गुणनो अन्यथाभाव..........द्रव्यगुणपर्यायनोरास, गा. 2/10 का टब्बा 1354 आलापपद्धति, सू. 20, 24, 21, 25 1355 अत्थो खलु दव्वमओ, दव्वाणि गुणप्पगाराणि भणिदाणि । तेहिं पुणो पज्जाया, पज्जयमूढा ही परसमय । .......... - प्रवचनसार, गा. 93 और उसकी अमृतचंद्राचार्यकृत टीका। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003974
Book TitleDravya Gun Paryay no Ras Ek Darshanik Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPriyasnehanjanashreeji
PublisherPriyasnehanjanashreeji
Publication Year2012
Total Pages551
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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