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________________ शुद्ध द्रव्य व्यंजन पर्याय में होनेवाली एक समयवर्ती पर्याय शुद्ध द्रव्य अर्थ पर्याय है। जैसे एकसमयवर्ती सिद्धत्वपर्याय। सिद्धत्व पर्याय चेतनद्रव्य की कर्मनिरपेक्ष शुद्ध दीर्घकालवर्ती व्यंजन पर्याय है। यह सिद्धत्वपर्याय भी प्रतिसमय परिवर्तनशील है। उदाहरणार्थ एक समय का सिद्धत्व, दो समय का सिद्धत्व इत्यादि । तीसरे समय में दो समयवाली सिद्धत्व पर्याय नष्ट होगी और तीन समयवाली सिद्धत्व पर्याय उत्पन्न होगी। 1242 इस प्रकार सिद्धत्व में प्रत्येक समय होनेवाली एक समयवर्ती पर्याय जीव की शुद्ध द्रव्य अर्थ पर्याय है । 6. अशुद्ध द्रव्य अर्थ पर्याय : अशुद्ध द्रव्य व्यंजनपर्याय में प्रतिसमय होनेवाला परिणमन अशुद्ध द्रव्य अर्थ पर्याय कहलाती है । जैसे एक समयवर्ती मनुष्यत्व । स्थूल दृष्टि से एक रूप प्रतीत होने वाली मनुष्यत्व पर्याय भी प्रतिक्षण बदलती रहती है। मनुष्यत्व पर्याय में प्रतिसमय एकसमयवर्ती सूक्ष्म परिणमन निरन्तर चलता रहता है। चूंकि मनुष्य पर्याय कर्मसापेक्ष होने से इसकी एकसमय की पर्याय जीवद्रव्य की अशुद्ध अर्थ पर्याय है। - 7. शुद्ध गुण अर्थ पर्याय : शुद्ध गुण की प्रति समयवर्ती पर्याय अर्थपर्याय है । जैसे ज्ञेय के परावृति के आधार पर प्रतिसमय होने वाला केवलज्ञान, जीव द्रव्य के शुद्ध ज्ञान गुण की अर्थपर्याय है। दिगम्बर परम्परा के अभिमत में केवलज्ञानादि शुद्ध गुण व्यंजन पर्याय में अर्थपर्याय नहीं होती है। 1243 केवलज्ञानादि शुद्ध गुण क्षायिक भावजन्य होने से क्षयोपशमिक भावजन्य मतिज्ञान आदि की तरह उनमें हानि - वृद्धि नहीं होती है। इस कारण से केवलज्ञानादि शुद्ध गुण में प्रतिसमय कोई परिणमन नहीं होता है। अतः 1242 ' द्रव्यगुणपर्यायनोरास, भाग - 2, धीरजलाल डाह्यालाल महेता, पृ. 664 428 1243 षड्गुण हाणि - वुडियी, जिम अगुरुलहुत्त नव नव तिम खिण भेद थी, केवल पणि वृत्त Jain Education International For Personal & Private Use Only द्रव्यगुणपर्यायनोरास, गा. 14/7 www.jainelibrary.org
SR No.003974
Book TitleDravya Gun Paryay no Ras Ek Darshanik Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPriyasnehanjanashreeji
PublisherPriyasnehanjanashreeji
Publication Year2012
Total Pages551
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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