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________________ 383 अनुसार एकस्वभाव के बिना सामान्य का ही अभाव हो जायेगा। जैसे कि अखण्ड आम्र वृक्ष में एक स्वभाव के बिना 'यह वृक्ष है' ऐसे सामान्य का अभाव होता है। सामान्य के नहीं रहने पर शाखा, प्रशाखा, फल, फूल आदि विशेषों का भी अभाव हो जायेगा, क्योंकि जहां सामान्य होता है वहां ही विशेष रहते हैं। सामान्य के बिना के विशेष आकाशपुष्प की तरह असत् है।1092 अतः सामान्य की अपेक्षा वस्तु एक स्वभाववाली भी है। 6. अनेकस्वभाव - द्रव्य अपने अनेक गुण–पर्यायों में अन्वयसम्बन्ध से रहने के कारण अनेक स्वभाववाला भी है।1093 दूसरे शब्दों में द्रव्य के अनेक रूप होने से द्रव्य अनेक स्वभाववाला है। 094 यशोविजयजी के कथनानुसार मिट्टी आदि द्रव्यों का स्थास, कोश, कुशूलादि अनेक पर्यायों में जो द्रव्य प्रवाह है, वह अनेक स्वभाव है।1095 प्रतिसमय परिवर्तित होने वाली पर्यायों के साथ-साथ उन पर्यायों के रूप में द्रव्य भी बदलता है। स्थास रूप मिट्टी ही स्थास रूप को छोड़कर कोशरूप को प्राप्त करती है। वही कोशरूप मिट्टी कालान्तर में कुशूलरूप को प्राप्त करती है। इस प्रकार द्रव्य विभिन्नरूपों स्थास, कोश, कुशूली में बदलता हुआ अनेक रूप को प्राप्त करता है, अर्थात् द्रव्य के विभिन्न रूपों में द्रव्य का प्रवाह रहता है। इसलिए द्रव्य एक होने पर भी भिन्न-भिन्न पर्यायों के रूप में अनेकद्रव्य भी है, अर्थात् भिन्न-भिन्न द्रव्यों (रूपों) के प्रवाहरूप होने से एक द्रव्य में अनेक स्वभावता है। नवीन-नवीन पर्यायों के रूप में प्रतीत होने वाला विवक्षित द्रव्य आकारभेद, क्षेत्रभेद, कालभेद आदि की विवक्षा से अनेक स्वभावता के कारण विभिन्न 1092 विण एकता विशेष न लहिइं, सामान्यनइं अभावइं .................... द्रव्यगुणपर्यायनोरास, गा. 11/9 1093 एकस्य अनेक स्वभावोवपलंभात् अनेक स्वभावः .. ............... आलापपद्धति, सू. 111 1094 नयचक्र, गा. 61 1095 अनेक द्रव्य प्रवाह एहनइ, अनेक स्वभाव प्रकारोजी ............ द्रव्यगुणपर्यायनोरास, गा. 11/9 Jain Education Interational For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003974
Book TitleDravya Gun Paryay no Ras Ek Darshanik Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPriyasnehanjanashreeji
PublisherPriyasnehanjanashreeji
Publication Year2012
Total Pages551
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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