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मृतिका से निर्मित घटपदार्थ मृतिकाद्रव्य से निर्मित घट के रूप में अस्ति है, इन्दौर में बना हुआ है तो इन्दौर क्षेत्र की अपेक्षा से अस्ति है, शरदऋतु में निर्मित है तो काल की अपेक्षा से अस्ति है, छोटा, बड़ा, रक्त, श्याम आदि जिस भाव से भी बना हुआ है तो उस भाव की अपेक्षा से अस्तिस्वरूप है। इस प्रकार सभी पदार्थ अपने-अपने स्वद्रव्यादि की अपेक्षा से अस्ति स्वभाव वाले होते हैं। सभी द्रव्यों में सत्स्वरूप है, इसलिए सभी में अस्ति स्वभाव पाया जाता है। 1071 जैसे सभी पदार्थों का नास्तिस्वभाव परपदार्थ के अभावरूप में अनुभव में आता है वैसे ही सभी पदार्थों का अस्तिस्वभाव भी अपने-अपने स्वरूप के रूप में अनुभव में आता है -जैसे यह पट नहीं है, यह मठ नहीं है, यह घट है।
द्रव्यों के अस्तिस्वभाव को नहीं मानने पर सकल शून्यता का प्रसंग आ जायेगा।'072 क्योंकि जैसे वस्तु परभाव की अपेक्षा से असत् है वैसे ही स्व स्वरूप की अपेक्षा से भी असत् हो जायेगी। घट–पट रूप, मठ रूप, व्यक्ति रूप तो नहीं है परन्तु यदि ऐसा न हो तो घट रूप भी नहीं रहेगा। इस प्रकार यदि पररूप से और स्वरूप से अर्थात् दोनों अपेक्षा से वस्तु नहीं है तो संसार में घट, पट, जीव, पुद्गल आदि कुछ भी सत् नहीं हो सकता है। अतः सर्व शून्यता का प्रसंग उपस्थित हो जायेगा।073 इसलिए वस्तु को अस्तित्व स्वभाववाली तो मानना होगा।
2. नास्तिस्वभाव :
जगतवर्ती समस्त पदार्थों का परद्रव्य, परक्षेत्र, परकाल, परभाव की अपेक्षा से अभावात्मक होना नास्तिस्वभाव है।074 जैसे घट, पटरूप से नास्तिस्वभाववाला है, चेतनद्रव्य अचेतनद्रव्य के रूप में नास्तिस्वरूप है, इन्दौर में बना हुआ घट
1071 अस्थिसहावे सत्ता .............
नयचक्र, गा. 60 1072 तथा सदुपस्थ सकल शून्यता प्रसंगात् .......
आलापपद्धति, सू. 127 1073 नहीं तो सकल शून्यता होवइ .................................. द्रव्यगुणपर्यायनोरास, गा. 11/6 1074 नास्ति स्वभाव पर भावइ जी ................................................... वही, गा. 11/6
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