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9. गतिहेतुत्व -
जीव और पुद्गल की गति में अपेक्षा कारण के रूप में सहायक बनना गतिहेतुत्वगुण है। 10. स्थितिहेतुत्व -
जीव और पुद्गल की स्थिति में अपेक्षा कारण के रूप में सहयोग करना स्थितिहेतुत्व गुण है। 11. अवगाहनहेतुत्व -
द्रव्यों के अवगाहन में अपेक्षा कारण के रूप में सहयोग करना अवगाहनहेतुत्व गुण है। 12. वर्तनाहेतुत्व -
सभी द्रव्यों के वर्तना में निमित्त बनना वर्तना हेतुत्वगुण है।।
इसके अतिरिक्त 13. चेतनत्व, 14. अचेतनत्व, 15. मूर्तत्व और 16. अमूर्तत्व, -इन चार गुणों के स्वरूप की व्याख्या हमने सामान्य गुणों के अन्तर्गत की है।
चेतनत्व, अचेतनत्व, मूर्तत्व, अमूर्तत्व ये चार गुण स्वजाति की अपेक्षा से सामान्यगुण भीऔर ‘परजाति की अपेक्षा से विशेषगुण भी हैं।1060 ये गुण स्वजाति की अपेक्षा से अनुगत व्यवहार करते हैं, अर्थात् 'यह भी चेतन है', 'यह भी चेतन है' इस प्रकार सभी चेतनद्रव्यों (स्वजातीय द्रव्यों में) चेतनत्व गुण की विद्यमानता को सूचित करता है। एक चेतनद्रव्य में चेतनता हो और किसी अन्य चेतनद्रव्य में चेतनता न हो ऐसा नहीं होता है। परन्तु सभी चेतनद्रव्यों में समान रूप से रहे हुए चेतनत्वगुण को सामान्य गुण कहा गया है। संक्षेप में जितने भी चेतनद्रव्य हैं, उन सभी में चेतनत्वगुण सर्व साधारण रूप से विद्यमान होने से चेतनत्वगुण को सामान्यगुणों के अन्तर्गत लिया गया है। इसी प्रकार अचेनत्व, मूर्तत्व और अमूर्तत्व गुण के विषय में भी समझ लेना चाहिए।
1060 चेतनादिक च्यार स्वजाति गुण सामान्य कहाई जी ....... द्रव्यगुणपर्यायनोरास, गा. 11/4
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