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________________ 368 1. ज्ञान - वस्तु का विशेष बोध ज्ञान है। जिससे वस्तु का वास्तविक स्वरूप प्रकाशित होता है, वह ज्ञान है अथवा जिससे स्व और पर को जाना जाता है, वह ज्ञान है। 1047 दूसरे शब्दों में जिस शक्ति के माध्यम से जीव वस्तु को उसके गुण, जाति, रूप इत्यादि सहित विशेष रूप से जानता है, वह ज्ञान गुण है। ज्ञान गुण के अवान्तर भेद आठ हैं। मतिज्ञान, श्रुतज्ञान, अवधिज्ञान, मनपर्यवज्ञान, केवलज्ञान, मति-अज्ञान, श्रुत-अज्ञान और विभंगज्ञान ।1048 1. मतिज्ञान - पाँच इन्द्रियों और मन के सहयोग से होने वाला ज्ञान मतिज्ञान कहलाता है।1049 2. श्रुतज्ञान - शास्त्रों के वाचन अथवा श्रवण से जो ज्ञान होता है, वह श्रुतज्ञान कहलाता है, जो मतिपूर्वक होता है।1050 3. अवधिज्ञान – इन्द्रिय और मन की सहायता के बिना द्रव्य, क्षेत्र, काल और भाव की मर्यादा सहित मूर्त पदार्थों को प्रत्यक्ष जाननेवाला ज्ञान अवधिज्ञान है। 051 4. मनःपर्यवज्ञान - इन्द्रिय और मन के सहयोग के बिना समनस्क जीवों के मन का साक्षात्कार करनेवाला ज्ञान मनःपर्यवज्ञान है। 052 5. केवलज्ञान – साक्षात् आत्मा से समस्त द्रव्यों और उनकी त्रैकालिक पर्यायों के एक साथ जाननेवाला ज्ञान केवलज्ञान है। 1053 6. मति-अज्ञान - मिथ्यात्व से संयुक्त मतिज्ञान, मति-अज्ञान है। 1047 मूलाचार, 12/1199 की वृत्ति 1048 कर्मग्रन्थ, 4/11 1049 तत्त्वार्थसूत्र, 1/13 1050 सभाष्यतत्त्वार्थाधिगमसूत्र, 1/20 का भाष्य 1051 नयचक्र-विवेचन, पं. कैलाशचन्द्र शास्त्री, पृ.8 1052 मनोमात्रसाक्षात्कारि मनः पर्यवज्ञान 1053 जैनतर्कभाषा, पृ. 23 तत्त्वार्थसूत्र, 1/30 जैनतर्कभाषा, पृ. 23 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003974
Book TitleDravya Gun Paryay no Ras Ek Darshanik Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPriyasnehanjanashreeji
PublisherPriyasnehanjanashreeji
Publication Year2012
Total Pages551
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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