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________________ 357 2. वस्तुत्व - वस्तु के भाव को वस्तुत्व कहते हैं, अर्थात् वस्तु के सामान्य–विशेषात्मक स्वभाव को वस्तुत्व कहते हैं।1008 जिस शक्ति के सद्भाव से द्रव्य में अर्थक्रिया होती है, उसे वस्तुत्वगुण कहा जाता है। 1000 अर्थक्रिया से तात्पर्य है प्रयोजनभूतक्रिया। प्रत्येक द्रव्य का अपने-अपने स्वभाव के अनुसार कार्य करना प्रयोजनभूतक्रिया है। जैसे घट जल धारण करता है। प्रत्येक द्रव्य सामान्य-विशेषरूप होने से अपना-अपना प्रयोजनभूत कार्य करता है। यशोविजयजी ने उस गुण को वस्तुत्वगुण कहा है जिससे जाति-व्यक्तिरूपता का ज्ञान होता है। जैसे किसी व्यक्ति को एक घट दिखाकर यह समझाया जाता है कि इस-इस आकार का जो होता है, वह घट कहलाता है। इस प्रकार प्रतिनियत घट को दिखाने पर भी समस्त घट जाति का ज्ञान हो जाता है। परन्तु जब 'इमं घटमानय' ऐसा कहने पर जिस घट की आवश्यकता होती है, उसी प्रतिनियत घट का ज्ञान होता है, अर्थात् घट को व्यक्तिरूप से जाना जाता है। इस प्रकार जिस गुण के कारण द्रव्य सामान्य या जातिरूप से तथा विशेष या व्यक्तिरूप से जाना जाता है, वह वस्तुत्वगुण है।010 साधु निष्परिग्रही होता है, साधु निर्ग्रन्थ होता है, साधु साधक होता है ....... ऐसा कहने पर सामान्य रूप से साधु जाति का बोध होता है और यह साधु समता की मूर्ति है, यह साधु तपस्वी है, यह साधु ध्यानी है .... ऐसा कहने पर साधु विशेष की अर्थात् व्यक्ति का बोध होता है। वस्तु का यह जातिरूप और व्यक्तिरूप –दोनों प्रकार का ज्ञान वस्तुत्वगुण के कारण होता है। ___जो अवग्रहकाल में वस्तु का सामान्यरूप से, अपाय काल में उसी वस्तु का विशेषरूप से तथा अवग्रह से लेकर अपाय तक के पूर्ण उपयोग में सामान्यात्मक और 1008 वस्तुनोभावः वस्तुत्वं, सामान्य विशेषात्मकं वस्तु .... आलापपद्धति, सूत्र 95 1009 नयचक्र -विवेचन, पं. कैलाशचन्द्रशास्त्री, पृ. 7 1010 वस्तुत्व ते कहिइं, जेहथी जाति-व्यक्तिरूपपणुं जाणिइं, जिमघट ..... द्रव्यगुणपर्यायनोरास, गा. 11/2 का टब्बा Jain Education Interational For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003974
Book TitleDravya Gun Paryay no Ras Ek Darshanik Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPriyasnehanjanashreeji
PublisherPriyasnehanjanashreeji
Publication Year2012
Total Pages551
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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