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________________ 355 पुद्गलद्रव्य की अपेक्षा से असाधारण है। यशोविजयजी ने प्रवचनसार, आलापद्धति के अनुसार सामान्य और विशेष के रूप से गुणों के दो ही भेद किये हैं। सामान्यगुण दस हैं -अस्तित्व, वस्तुत्व, द्रव्यत्व, प्रमेयत्व, अगुरूलघुत्व, प्रदेशत्व, चेतनत्व, अचेतनत्व, मूर्तत्व और अमूर्तत्व ।998 विशेषगुण सोलह हैं -ज्ञान, दर्शन, सुख, वीर्य, रूप, रस, गन्ध स्पर्श, गमनहेतुत्व, स्थितिहेतुत्व, वर्तनाहेतुत्व, अवगाहनहेतुत्व, मूर्तत्व, अमूर्तत्व, चेतनत्व एवं अचेतनत्व।99 आचार्य अमृतचन्द्र ने प्रवचनसार की तात्पर्यवृत्ति में गुण और स्वभाव में भेद किये बिना अस्तित्व, नास्तित्व, एकत्व, अन्यत्व, द्रव्यत्व, पर्यायत्व, सर्वगत्व, असर्वगत्व, सप्रदेशत्व, अप्रदेशत्व, मूर्तत्व, अमूर्तत्व, सक्रियत्व, अक्रियत्व, चेतनत्व, अचेतनत्व, कर्तृत्व, अकर्तृत्व, भोक्तृत्व, अभोक्तृत्व और अगुरूलघुत्व इन इक्कीस गुणों को सामान्यगुण कहा है। परन्तु आलापपद्धति के कर्ता देवसेन ने गुण और स्वभाव को अलग-अलग करके सामान्य गुणों के अन्तर्गत अस्तित्व आदि दस गुणों को ही गिनाया है।1000 'द्रव्यगुणपर्यायनोरास' में भी आलापपद्धति का अनुसरण करके अस्तित्व आदि दस गुणोंकोसामान्यगुण के रूप में तथा ज्ञानादि सोलह गुणों को विशेषगुणों के रूप में व्याख्यायित किया गया है। 1001 998 अ) नयचक्र ........ गा. 12 ब) आलापपद्धति - सू. 9 999 अ) नयचक्र ...... गा. 13 ब) आलापपद्धति -सू. 11 1000 प्रवचनसार, गा. 2/3 की तात्पर्यवृत्ति 1001 द्रव्यगुणपर्यायनोरास की ग्यारहवीं ढाल, गा. 1, 2, 3 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003974
Book TitleDravya Gun Paryay no Ras Ek Darshanik Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPriyasnehanjanashreeji
PublisherPriyasnehanjanashreeji
Publication Year2012
Total Pages551
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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