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________________ 354 गुण के प्रकार : सामान्यगुण और विशेषगुण - __मुख्य रूप से गुण के दो प्रकार हैं –सामान्यगुण और विशेषगुण ।993 षड़द्रव्यों के समस्त गुण गुणत्व सामान्य की अपेक्षा से समान है। परन्तु इनमें कुछ गुण द्रव्य को द्रव्यान्तर से पृथक् करने से विशेष भी हैं।994 विशेष गुणों के अभाव में द्रव्यों में परस्पर भेद करना संभव नहीं होगा। जीवद्रव्य और पुद्गलद्रव्य में कोई अन्तर ही नहीं रहेगा। जो साधारण गुण है वे सामान्य गुण कहलाते हैं तथा जो असाधारण गुण हैं, वे विशेष गुण कहलाते हैं। जो गुण सामान्य रूप से सभी द्रव्यों में पाये जाते हैं, वे सामान्य गुण हैं। जो गुण किसी द्रव्य विशेष में ही पाये जाते हैं, वे विशेष गुण हैं।995 जैसे अस्तित्वगुण द्रव्य मात्र में पाये जाने से सामान्यगुण के अन्तर्गत आता है जबकि ज्ञानगुण मात्र जीवद्रव्य में पाये जाने से विशेषगुणों के अन्तर्गत आता है। अस्तित्व आदि सामान्य गुणों से द्रव्यसामान्य की सिद्धि होती है तथा ज्ञान आदि विशेष गुणों से द्रव्यविशेष की सिद्धि होती है।996 परमात्मप्रकाश की टीका में गुणों के तीन भेद किये गये हैं97 –साधारणगुण, असाधारणगुण और साधारणासाधारण गुण। अस्तित्व, वस्तुत्व, प्रमेयत्व आदि गुण समस्त द्रव्यों में पाये जाने से साधारणगुण है, जबकि ज्ञान, सुख आदि गुण उमुक द्रव्य में ही होने से असाधारणगुण है तथा अमूर्तत्व, प्रदेशत्व आदि गुण साधारणासाधारणगुण है। पुद्गलद्रव्य में अमूर्तत्वगुण का अभाव होता है। अतः अमूर्तत्वगुण धर्मास्तिकाय आदि पाँच द्रव्यों की अपेक्षा साधारणगुण है। जबकि ....... 993 अ) गुणा विस्तारविशेषाः ते द्विविधाः सामान्यविशेषात्मकत्वात् .......... प्रवचनसार-तात्पर्यवृत्ति गा. 2/3 ब) दव्वाणं सहभूदा सामण्णविसेसदो गुणा णेया . नयचक्र, गा. 11 994 अस्ति विशेषस्तेषां सति च समाने यथा गुणत्वेपि ................. पंचाध्यायी, गा. 1/160 995 अ) साधारणणास्तु यतरे ततरे नाम्ना गुणा हि सामान्या ............... वही, गा. 1/161 ब) जैनसिद्धान्तदीपिका, 1/37 996 तेषामिह वक्तव्ये हेतु पंचाध्यायी, गा. 1/162 997 गणास्त्रिविधा भवन्ति। केचन साधारणाः केचन असाधारणाः केचन साधारणासाधरणा इति ... ... परमात्मप्रकाश गा. 1/58 की टीका Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003974
Book TitleDravya Gun Paryay no Ras Ek Darshanik Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPriyasnehanjanashreeji
PublisherPriyasnehanjanashreeji
Publication Year2012
Total Pages551
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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