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________________ 322 विविध कंपन करता है यावत् परिणमन करता है। उसमें न तो निरंतर कंपभाव होता है और न निरंतर अकंपभाव होता है।81 परमाणु की स्वाभाविक गति सरल रेखा में होती है। उसकी उत्कृष्ट गति एक समय में चौदह रज्जु है। परमाणु अपनी उत्कृष्ट गति से एक समय में लोक के एक सिरे से दूसरे सिरे तक पहुंच जाता है।982 परमाणु की उत्पत्ति - यद्यपि परमाणु शाश्वत और नित्य है फिर भी अनेक परमाणुओं का पिण्ड रूप स्कन्धों के टूटने पर, उसके अन्तिम रूप परमाणु की उत्पत्ति होती है। इस प्रकार स्कन्ध का भेद ही परमाणु की उत्पत्ति का कारण है।983 पुद्गल के पर्याय - शब्द, बन्ध, सूक्ष्मता, स्थूलता, संस्थान, भेद, तम, छाया, आतप और उद्योत -ये सब पुद्गल स्कन्धों की दस अवस्थाएं या पर्याय हैं।884 1. शब्द - ___ जैनदर्शन के अनुसार शब्द पौद्गलिक, मूर्त और अनित्य है। वैशेषिक दर्शन शब्द को आकाश का गुण मानकर उसे आकाश की तरह अमूर्त मानते हैं। किन्तु शब्द आकाश का गुण नहीं हो सकता है। यदि वह आकाश का गुण होता तो आकाश की तरह व्यापक और अमूर्त होने से किसी भी इन्द्रिय का विषय नहीं बन सकता है, जबकि शब्द श्रोत्रेन्द्रिय का विषय बनता है। यदि शब्द अमूर्तिक होता है 881 भगवतीसूत्र – 16/116 882 जैनदर्शन और आधुनिक विज्ञान – पृ. 37 883 भेदादणुः – तत्त्वार्थसूत्र, 5/27 1884 तत्त्वार्थसूत्र - 5/24 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003974
Book TitleDravya Gun Paryay no Ras Ek Darshanik Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPriyasnehanjanashreeji
PublisherPriyasnehanjanashreeji
Publication Year2012
Total Pages551
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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