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________________ 320 3. प्रदेश : स्कन्ध से अपृथक् बुद्धि कल्पित अविभाज्य या निरंश अंश प्रदेश है।869 दूसरे शब्दों में परमाणु जब तक स्कन्ध से संलग्न रहता है, तब तक वह प्रदेश कहलाता है और स्कन्ध से अलग हो जाने पर परमाणु कहलाता है। 4. परमाणु : स्कन्ध से पृथक् हुए अविभागी अंश को परमाणु कहते हैं।37° पुद्गल परमाणु अबद्ध-असमुदायरूप होते हैं। परमाणु स्वतंत्र इकाई है और स्कन्धों का अन्तिम रूप है। इसके बाद इसका कोई टुकड़ा नहीं किया जा सकता है। जैसे किसी बिन्दु का कोई ओर-छोर नहीं होता है, वैसे ही परमाणु का कोई आदि, अन्त बिन्दु नहीं है। इसका आदि, मध्य और अन्त यह स्वयं है।972 प्रत्येक पुद्गल परमाणु में स्निग्ध, रूक्ष, शीत और उष्ण इन चार स्पर्शों में से कोई दो स्पर्श, पांच रसों में कोई एक रस, पांच वर्षों में से कोई एक वर्ण, दो गन्ध में से कोई एक गन्ध अनिवार्य रूप से पाये जाते हैं।973 संक्षेप में परमाणु एक वर्ण, एक रस, एक गन्ध और दो स्पर्श वाला होता है।974 जैनागम भगवतीसूत्र में परमाणु को अछेद्य, अभेद्य, अग्राह्य, अदाह्य और निर्विभागी कहा है।75 भगवान महावीर ने हजारों वर्षों के पूर्व ही परमाणु के संदर्भ में सूक्ष्म विवेचन प्रस्तुत कर दिया था। वैज्ञानिक जिस परमाणु के अन्वेषण में रत है, वह महावीर के अनुसार अनेक परमाणुओं से संघटित कोई स्कन्ध है। क्योंकि उसमें इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन, न्यूट्रान, अल्फा, गामा, बीटा, न्यूट्रिनो, पांजिट्रान, मेशाँन आदि अनेक कण 869 वही – 1/31 870 पंचास्तिकाय – गा. 75 871 पंचास्तिकाय - गा. 77 872 नियमसार - गा. 36 873 पंचास्तिकाय - गा. 82 874 भगवतीसूत्र – 20/5/1 875 वही - 5/7/154 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003974
Book TitleDravya Gun Paryay no Ras Ek Darshanik Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPriyasnehanjanashreeji
PublisherPriyasnehanjanashreeji
Publication Year2012
Total Pages551
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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