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________________ की कल्पना से नयों का जो नवीन वर्गीकरण किया है, वह उचित नहीं है। यशोविजयजी ने सर्वप्रथम देवसेन आचार्य के मतानुसार नयों के लक्षण, स्वरूप, भेद आदि की व्याख्या करके पश्चात् उनके नय वर्गीकरण के औचित्य की समीक्षा की है। यशोविजयजी ने इस ढाल में 'नयचक्र' के अनुसार द्रव्यार्थिक नय के दस भेदों का अर्थ, उदाहरण, आदि पर विस्तृत प्रकाश डाला है। वे दस भेद इस प्रकार 1. कर्मोपाधि निरपेक्ष शुद्ध द्रव्यार्थिकनय 3. भेद कल्पना रहित शुद्ध द्रव्यार्थिकनय 5. उत्पादव्यय सापेक्ष अशुद्ध द्रव्यार्थिकनय 7. अन्वय द्रव्यार्थिकनय 9. परद्रव्यादिग्राहक द्रव्यार्थिकनय 2. उत्पादव्ययगौण सत्ताग्राहक शुद्ध द्रव्यार्थिकनय 4. कर्मोपाधि सापेक्ष अशुद्ध द्रव्यार्थिकनय 6. भेदकल्पना सापेक्ष अशुद्ध द्रव्यार्थिकनय 8. स्वद्रव्यादि ग्राहक द्रव्यार्थिकनय 10. परमभाव ग्राहक द्रव्यार्थिकनय 6. छठी ढाल - देवसेन आचार्य द्वारा रचित 'नयचक्र' नामक ग्रन्थ के अनुसार नय के 28 भेदों की चर्चा प्रस्तुत ढाल में की गई है। द्रव्यार्थिक नय के 10 भेदों की व्याख्या पांचवी ढाल में करने के पश्चात् इस छठी ढाल के प्रारम्भ में पर्यायार्थिक नय के निम्न छह भेदों का प्रतिपादन किया गया है :1. अनादि नित्य शुद्ध पर्यायार्थिकनय 2. सादि नित्य शुद्ध पर्यायार्थिकनय 3. अनित्य शुद्ध पर्यायार्थिकनय 4. नित्य अशुद्ध पर्यायार्थिकनय 5. कर्मोपाधि रहित नित्य शुद्ध पर्यायार्थिकनय 6. कर्मोपाधि सापेक्ष अनित्यशुद्ध पर्यायार्थिकनय तत्पश्चात् नैगमनय के तीन भेद, संग्रहनय के दो भेद, व्यवहारनय के दो भेद, ऋजुसूत्रनय के दो भेद, शब्द, सममिरूढ़ और एवंभूतनय इन 12 भेदों की विस्तारयुक्त चर्चा उदाहरण सहित की गई है। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003974
Book TitleDravya Gun Paryay no Ras Ek Darshanik Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPriyasnehanjanashreeji
PublisherPriyasnehanjanashreeji
Publication Year2012
Total Pages551
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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