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________________ 311 इस प्रकार प्रथम मतानुसार जीव और अजीव की भिन्न पर्यायों में जो वर्तना है, वह वर्तना पर्यायरूप काल है। उसमें द्रव्य का उपचार करने से काल औपचारिक द्रव्य है। परन्तु वास्तविक द्रव्य नहीं है। दूसरे मतानुसार वर्तना पर्याय में अपेक्षाकारण रूप स्वतन्त्र और वास्तविक कालद्रव्य है। यह सूर्य, चंद्र की गति से जाना जाता है। उपरोक्त श्वेताम्बर मान्य दोनों मतों का उल्लेख कहाँ–कहाँ उपलब्ध होता है ? इस बात के स्पष्टीकरण के लिए उपाध्याय यशोविजयजी ने सूरिपुरन्दर हरिभद्र द्वारा रचित धर्मसंग्रहणी ग्रंथ का साक्षीपाठ दिया है।939 जं वत्तणाइरूपो कालो, दव्वस्स चेव पण्णाओ। सो चेव वूतो धम्मो, कालस्स व जस्स जो लोए ।।32 ।। तथा तत्वार्थसूत्र का 'कालश्चेत्येके के पाठ को भी साक्षी पाठ के रूप में दिया है उपाध्याय यशोविजयजी ने श्वेताम्बर आचार्यों के मन्तव्यों की चर्चा के बाद दिगम्बर आचार्यों के मन्तव्यों का उल्लेख किया है। ___ आकाश के एक प्रदेश पर स्थित पुद्गल अणु मन्दगति से चलते हुए उससे लगे प्रदेश पर जितनी देर में पंहुचता है, उतने काल का नाम समय है। यह पर्यायरूप समय है। इस पर्याय का जो भाजन या आधार है वह कालद्रव्य है।840 यह कालद्रव्य अणुरूप है। एक-एक आकाश प्रदेश में एक-एक कालाणु है। इसलिए जितने लोकाकाश के प्रदेश हैं उतने ही कालाणु हैं अर्थात् असंख्य कालाणु है। कालाणु परस्पर पिण्डीभूत नहीं होते है। काल के अतीत समय नष्ट हो जाते हैं। अनागत समय अनुत्पन्न है। उसका केवल वर्तमान समय ही अस्तित्व में रहता है। इसलिए काल का स्कन्ध या तिर्यक् प्रचय नहीं होता है। जैसे- रत्नों का ढेर लगा देने पर भी प्रत्येक रत्न अलग-अलग रहता है। उसी प्रकार लोकाकाश के प्रत्येक ...........................द्रव्य ..द्रव्यगुणपर्यायनोरास, गा. 10/12 का टब्बा 839 धर्मसंग्रहणी रे ऐ दोइ मत कहिया, तत्त्वारथमां रे जाणि अनपेक्षित द्रव्यार्थिकनई मते, बीजु तास वखाणि ........... द्रव्यगुणपर्यायनोरास, 10/13 840 मंदगतिं अणु यावत संचरइ, नहप्रदेश इक ठोर। तेह समयनो रे भाजन कालाण, इम भाषइ कोई ओर।। .............. द्रव्यगुणपर्यायनोरास, गा. 10/14 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003974
Book TitleDravya Gun Paryay no Ras Ek Darshanik Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPriyasnehanjanashreeji
PublisherPriyasnehanjanashreeji
Publication Year2012
Total Pages551
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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