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(2) रूपी-अरूपी के आधार पर -
द्रव्य
रूपी
अरूपी 2. जीव
1. पुद्गल
3. धर्म
4. अधर्म 5. आकाश 6. काल
(3) अस्तिकाय-अनास्तिकाय के आधार पर -
द्रव्य
अनास्तिकाय 6. काल
अस्तिकाय 1. जीव 2. पुद्गल 3. धर्म 4. अधर्म 5. आकाश
ग्रन्थकार ने प्रस्तुत ग्रन्थ में द्रव्य के धर्मास्तिकाय आदि षड़द्रव्य के रूप में वर्गीकरण के पश्चात् इन षड्द्रव्यों के स्वरूप और लक्षण पर भी विचार व्यक्त किये
हैं।
1. धर्मास्तिकाय :
पाँच अस्तिकाय में प्रथम धर्मास्तिकाय द्रव्य है। धर्मास्तिकाय जैनदर्शन सम्मत विशिष्ट द्रव्य है। अन्य किसी भी दर्शन में धर्मास्तिकाय की अवधारणा उपलब्ध नहीं होती है। प्रायः सभी दर्शनों में धर्म और अधर्म शब्दों का प्रयोग आचारशास्त्र, नीतिशास्त्र एवं कर्तव्य के परिप्रेक्ष्य में किया गया है। यद्यपि जैन आचारशास्त्र और
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