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________________ द्रव्यों का संयोग पूर्व-पूर्व समय में नहीं होने से एवं उत्तर - उत्तर समय में संयोग होने से धर्मादि के साथ जीव- पुद्गलों की संयुक्तावस्था रूप उत्पाद ऐकत्विक उत्पाद है। यह ऐकत्विक उत्पाद अप्रयत्नजन्य होने से विस्रसा उत्पाद है। ऋजुसूत्रनय मान्य प्रतिक्षणवर्ती पर्यायों के आधार पर जो उत्पाद होता है, वह भी ऐकत्विक उत्पाद है। जैसे कि जीवद्रव्य में क्षयोपशमिक, औदायिक और पारिणमिक भाव प्रतिसमय बदलते रहते हैं । एतदर्थ जीवद्रव्य प्रथम समय में जैसे ज्ञानादि गुण और रागादि दोष भाववाला था, वैसे भाववाला द्वितीय समय में नहीं रहता है। इस प्रकार प्रथमसमयावच्छिन्न, द्वितीयसमयावच्छिन्न द्रव्य इत्यादि व्यवहार करने में कारणभूत पर्यायों के आधार पर जो उत्पाद होता है वह भी ऐकत्विक उत्पाद है | 724 केवल जीवद्रव्य के उत्पाद ही नहीं, अपितु धर्मास्तिकाय आदि पांचों द्रव्यों के क्षणवर्ती पर्यायों का उत्पाद भी ऐकत्विक उत्पाद ही है । प्रयोगज (नियम से समुदायजनित और अशुद्ध ) उत्पाद Jain Education International सचित समुदायजनित अचित विस्रसा 724 तथा ऋजुसूत्रनयाभिमत जे क्षणिकपर्याय, प्रथम द्वितीयसमयादि द्रव्य व्यवहार हेतु, तद्द्वारई उत्पाद, ते सर्व एकत्व ज जाणवो For Personal & Private Use Only मिश्र 277 ऐकत्विक वही, गा. 9/22 www.jainelibrary.org
SR No.003974
Book TitleDravya Gun Paryay no Ras Ek Darshanik Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPriyasnehanjanashreeji
PublisherPriyasnehanjanashreeji
Publication Year2012
Total Pages551
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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